दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि इस केस से जुड़े तत्व पंजाब तक फैले हुए हैं। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पद के प्रभाव के कारण कई गवाहों ने उनकी गिरफ्तारी के बाद गवाही दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार, 5 अगस्त 2024 को आबकारी नीति घोटाले के भ्रष्टाचार मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के इस तर्क में कोई दुर्भावना नहीं है कि केजरीवाल की जमानत के बाद वे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जिन्होंने उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही दी थी।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल एक सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे एक मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक हैं। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अपने फैसले में कहा कि गवाहों पर केजरीवाल का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, क्योंकि ये गवाह केवल उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके, जैसा कि CBI ने बताया है।
कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जांच के लिए पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए थे और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी ने काम किया। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण गवाह सामने नहीं आ रहे थे। उनके गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बयान देने के लिए आगे आए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हर अदालत की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि गिरफ्तारी और रिमांड के असाधारण अधिकारों का दुरुपयोग न हो और पुलिस इन्हें उचित तरीके से इस्तेमाल करे। अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क किया कि सीबीआई ने अगस्त 2022 में मामला दर्ज किया था और जांच पिछले दो वर्षों से चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के आदेश में कोई नया सबूत नहीं है जो इस साल जून में उनकी गिरफ्तारी को सही ठहरा सके। इसके जवाब में, सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल ने सीधे हाईकोर्ट का रुख किया, जबकि उन्हें पहले निचली अदालत में अपील करनी चाहिए थी।
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया और अरविंद केजरीवाल को राहत के लिए निचली अदालत में जाने की अनुमति दी। कोर्ट ने 17 जुलाई को सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था और 29 जुलाई को जमानत याचिका पर निर्णय सुनाया।