सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य के अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, शौचालयों की स्थिति में सुधार करने और अलग रेस्ट रूम बनाने का कार्य 15 अक्टूबर तक पूरा किया जाए।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सोमवार (30 सितंबर, 2024) को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं। इस पर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह ने स्पष्ट किया कि रेजिडेंट डॉक्टर इनपेशेंट डिपार्टमेंट (IPD) और आउटपेशेंट डिपार्टमेंट (OPD) में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्ववेदी ने डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए मरीजों की चिंता जताई। उन्होंने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर आवश्यक काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि, इंदिरा जयसिंह ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि डॉक्टर सभी जरूरी और आपातकालीन सेवाओं में सक्रिय हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, शौचालयों और अलग रेस्ट रूम बनाने का कार्य 15 अक्टूबर तक पूरा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीड़िता का नाम और तस्वीर प्रकाशित नहीं की जा सकती। सुनवाई के दौरान एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने बताया कि पीड़िता के माता-पिता सोशल मीडिया पर ट्रेनी डॉक्टर के नाम और तस्वीरों को देखकर परेशान हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और मर्डर केस से संबंधित सुनवाई के दौरान कहा कि उसने इस मामले में पहले ही आदेश पारित कर दिए हैं, और उन्हें लागू करना कानून लागू करने वाली एजेंसियों की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सभी प्लेटफॉर्म्स पर लागू होता है।
बेंच ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के जांच में ठोस सुराग मिलने की बात की और कहा कि सीबीआई ने बलात्कार, हत्या और वित्तीय अनियमितताओं के दोनों पहलुओं पर बयान दिए हैं।
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं का सामना कर रहे कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके खिलाफ जांच की जा रही है। कोर्ट ने उचित कार्रवाई के लिए राज्य सरकार के साथ जानकारी साझा करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को राष्ट्रीय कार्यबल (NTF) की प्रगति पर एक रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।