चंद्रयान 3 की महान सफलता के पश्चात्, देशभर में उत्सवकी माहौल है। हर कोई इस ऐतिहासिक पल का आनंद अपनी अपनी तरीके से उठा रहा है। केदारनाथ से भी ऐसी आनंदमय तस्वीरें आई हैं.
चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर लैंडिंग: चंद्रयान 3 के सफलतापूर्वक चांद की सतह पर पहुँचने के बाद, पूरे देश में जश्न की माहौल है। हर भारतीय का सीना गर्व से उचा है। चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लोगों ने खुशी में नाच-गाने और झूमकर उत्सव मनाया। इस महत्वपूर्ण मोमेंट को सभी अपनी अपनी तरीके से मना रहे हैं। इस खुशी की तस्वीरें दिखाई दीं, जैसे केदारनाथ धाम से, जहां लोग तिरंगा लेकर जयकारे लगाते हुए दिखे।
इसरो के मिशन चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद, केदारनाथ धाम में भी लोग जश्न मनाते हुए दिखे और भारत माता की जयकारे बोलते हुए दिखे। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया, जिसमें सभी लोग तिरंगा लेकर शामिल हुए।
केदारनाथ धाम में निकाली गई तिरंगा यात्रा
चंद्रयान 3 के मिशन की सफल उपलब्धि ने पूरे देश में गर्व और जश्न की भावना पैदा कर दी है। इस ऐतिहासिक क्षण पर हर भारतीय गर्व और खुशी से झूम रहा है और लोग इसे अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं। ऐसा ही नजारा केदारनाथ धाम में भी देखने को मिला, जहां लोगों को उत्साह के साथ राष्ट्रीय ध्वज लहराते और देशभक्ति के नारे लगाते देखा गया। चंद्रमा की सतह पर इसरो के चंद्रयान 3 मिशन की जीत के बाद, मंदिर समिति के सदस्यों ने एक ध्वज जुलूस का आयोजन किया, जिसमें मंदिर परिसर को घेरते हुए उनका उत्साह और जोश देखने को मिला। उनका जोशीला उत्सव और देशभक्ति के जयकारे मंदिर परिसर के चारों ओर गूंज उठे। पूरा देश खुशी और गर्व की विभिन्न अभिव्यक्तियों के माध्यम से इस महत्वपूर्ण उपलब्धि का जश्न मनाने में शामिल हुआ है।
प्रज्ञान ने चांद पर शुरू की चहलकदमी
चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर गया है। लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर ने प्रज्ञान रोवर को छोड़ दिया है। लैंडिंग के लगभग ढाई घंटे बाद, जब धूल जम गई, तो प्रज्ञान रोवर लैंडर से निकला और चंद्रमा की सतह पर अपना मिशन शुरू किया। रोवर अब चंद्रमा की सतह पर अपना पहला कदम रख रहा है। अगले 14 दिनों के दौरान, प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की खोज करते हुए अध्ययन करेगा और डेटा एकत्र करेगा। एकत्र किए गए डेटा को फिर विक्रम लैंडर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इसके बाद सारी जानकारी विश्लेषण के लिए पृथ्वी पर मौजूद इसरो वैज्ञानिकों को भेजी जाएगी।