केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में एक बयान देकर सभी को चौंका दिया है, जिसमें उन्होंने मंत्री पद को दरकिनार करने की बात कही। इससे पहले भी चिराग पासवान कई मुद्दों पर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहे हैं।
चिराग पासवान: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जो स्वयं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान मानते हैं, कई मुद्दों पर केंद्र सरकार से भिन्न रुख अपना चुके हैं। उनके कई बयानों ने उन्हें पार्टी की नीति से अलग खड़ा कर दिया है। हाल ही में उन्होंने एक और चौंकाने वाला बयान दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे मोदी सरकार से किसी बात को लेकर खासे नाराज हैं, हालांकि उनकी नाराजगी का कारण अभी तक सामने नहीं आया है।
पटना के एसके मेमोरियल हॉल में पार्टी के एससी-एसटी प्रकोष्ठ के एक कार्यक्रम के दौरान चिराग पासवान ने मंत्री पद को छोड़ने का एक साहसी बयान दिया। उन्होंने कहा, “चाहे मैं किसी भी गठबंधन में रहूं या किसी भी मंत्री पद पर, जिस दिन मुझे लगेगा कि संविधान और आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, उसी वक्त मैं मंत्री पद को ऐसे ही छोड़ दूंगा, जैसे मेरे पिता रामविलास पासवान ने एक मिनट में मंत्री पद का त्याग किया था।”
झारखंड चुनाव से क्यों जोड़ा जा रहा बयान?
चिराग पासवान की नाराजगी को झारखंड चुनाव से जोड़ा जा रहा है, क्योंकि उनकी पार्टी, एलजेपी, लंबे समय से झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। वे वहां एनडीए को जीताने की अपील भी करते रहे हैं, लेकिन बीजेपी की ओर से उन्हें झारखंड चुनाव के लिए गठबंधन में शामिल होने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। झारखंड के सह प्रभारी हेमंत बिस्वा सरमा के हालिया बयान से स्पष्ट होता है कि बीजेपी एलजेपी को वहां कोई जगह देने के लिए तैयार नहीं है। सरमा ने कहा कि बीजेपी आजसू और जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
चिराग पासवान ने हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भी तारीफ की, उन्हें एक दूरदर्शी नेता बताते हुए कहा कि उनके पास एक स्पष्ट विजन है।
चिराग ने कोटे के भीतर कोटा, लेटरल एंट्री और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों पर भी सरकार से भिन्न रुख अपनाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कोटे के भीतर कोटा पर आए फैसले का विरोध किया और लेटरल एंट्री के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई। जातिगत जनगणना के मामले में उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि जातिगत जनगणना कराई जाए।