हरियाणा में एंटी-इंकम्बेंसी (सत्ता विरोधी लहर) सहित कई मुद्दे थे, जो बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते थे। लेकिन बीजेपी ने हरियाणा चुनाव से 7 महीने पहले एक ऐसा कदम उठाया, जिससे कांग्रेस पूरी तरह से मात खा गई।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सबको हैरान कर देने वाले थे। बीजेपी लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने जा रही है, और इन नतीजों ने हरियाणा को लेकर किए गए सभी एग्जिट पोल्स को भी गलत साबित कर दिया। एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की भारी जीत की भविष्यवाणी की जा रही थी, लेकिन बीजेपी ने इतिहास रचते हुए जीत हासिल की। इसके पीछे अमित शाह का एक पुराना फॉर्मूला था, जिसने हरियाणा में भी बीजेपी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वास्तव में, हरियाणा में बीजेपी पिछले 10 सालों से सत्ता में थी, और ऐसे में एंटी-इंकम्बेंसी सहित कई मुद्दे थे, जो पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकते थे। लेकिन बीजेपी ने हरियाणा चुनाव से 7 महीने पहले एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेला, जिसने कांग्रेस को पूरी तरह से चारों खाने चित कर दिया।
7 महीने पहले खट्टर को हटाया
हरियाणा विधानसभा चुनाव से 7 महीने पहले बीजेपी ने अचानक सबको चौंकाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उनके पद से हटा दिया। दरअसल, खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी ने 2019 का चुनाव लड़ा था, लेकिन तब पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। हालांकि, जेजेपी के समर्थन से बीजेपी ने सरकार बना ली थी।
बीजेपी 2024 के चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी, इसलिए खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपी गई। पार्टी ने सैनी के नेतृत्व में हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा और जनता के सामने एक नया चेहरा पेश किया। चुनाव नतीजे यह स्पष्ट करते हैं कि जनता ने नायब सिंह सैनी पर भरोसा जताया, और बीजेपी इस बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल होती नजर आ रही है।
यह फॉर्मूला, जिसमें चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलकर नए चेहरे के साथ चुनाव में उतरना, बीजेपी के लिए नया नहीं है। इससे पहले भी बीजेपी ने इस रणनीति को कई राज्यों में आजमाया था, जैसे उत्तराखंड, त्रिपुरा, और गुजरात, और वहां भी यह सफल साबित हुआ था।