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बीजेपी में ‘तेज’ हुआज्वाइनिंग का दौर…

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राजस्थान में कांग्रेस का लक्ष्य वर्तमान में चली आ रही सत्ता परिवर्तन की परंपरा को बदलना है, जबकि भाजपा इस परंपरा को बनाए रखना चाहती है। आइए जानें कि दोनों पार्टियों ने अपने-अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए क्या रणनीति अपनाई है।

राजस्थान समाचार:

कांग्रेस राजस्थान में चल रहे सरकार बदलने के रिवाज को तोड़ने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं भाजपा इस रिवाज को बरकरार रखने के लिए कठोर प्रयास कर रही है. इसलिए, भाजपा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जिसमें कुछ पुराने भाजपा नेताओं भी शामिल हैं। भाजपा उन सभी सीटों पर पूर्वाग्रही समीकरण को ठीक करने में जुटी हुई है, जहां वहां थोड़ा संदेह उत्पन्न हो रहा है। वहीं कांग्रेस दावा कर रही है कि उनकी सरकार दोबारा बनेगी, जिसके पीछे सरकार ने अपनी कई महत्वपूर्ण योजनाएं गिनाई हैं। नए जिलों की घोषणा भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, हालांकि कांग्रेस के पास अभी भी 20 से अधिक जिलों में जिला अध्यक्ष नहीं हैं, जो एक बड़ी समस्या बन रही है। इसके साथ ही, छोटे-छोटे दलों ने भी कई जिलों में वोटबंदी शुरू कर दी है, जहां पर उनकी स्थानीय मांगें तेज हो गई हैं। इसके साथ ही, विभिन्न क्षेत्रीय नेताओं ने भी अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। ऐसे में, हम देख सकते हैं कि राज और रिवाज को बरकरार रखने के लिए कौन सी स्थिति बन सकती है।

किसी को नाराज नहीं करने की रणनीति 

भाजपा इस बार सभी को नाराज़ नहीं करना चाहती है और सभी को एक साथ लाने के मूड में है। पार्टी में शामिल होना चाहने वालों को स्वागत किया जा रहा है और खिलाफी बयानों से बचने पर ध्यान दिया जा रहा है। हाल ही में, बीजेपी में कुछ लोगों ने प्रदेश मुख्यालय में शामिल होने का निर्णय लिया है, और उनमें कुछ नेताओं के प्रभावपूर्ण क्षेत्र भी शामिल हैं। संगठन में थोड़े बदलाव की संभावना भी है और इस पर ध्यान दिया जा रहा है। इस बार, सबको संतुलित रखने का प्रयास किया जा रहा है और किसी व्यक्ति के प्रभाव को पार्टी में बरकरार रखने की भावना मजबूत है। आने वाले दिनों में और भी बड़ी शामिलियों की चर्चा हो रही है।

क्या है कांग्रेस की बड़ी परेशानी

पिछले दो साल से राजस्थान कांग्रेस में प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा नहीं हुई है। इसकी घोषणा बार-बार टल रही है, सबसे पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद, फिर गुजरात चुनाव के बाद और अब कर्नाटक चुनाव के बाद इसकी सूची की घोषणा होने की बात बताई जा रही है। इस प्रतीक्षा में, कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता जिलों में बैठे हैं। कांग्रेस के सदस्यों का कहना है कि इस विलंब से दिक्कतें बढ़ेंगी। कुछ जिलों में नेताओं ने इस मुद्दे पर बैठकें भी की हैं। हालांकि, उन्हें भी कर्नाटक चुनाव के बाद ही नियुक्ति की उम्मीद दी गई है।

बीजेपी और कांग्रेस का क्या कहना है? 

बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा का कहना है कि वे उन लोगों को बीजेपी में ज्वाइन कराने की कोशिश कर रहे हैं, जो बीजेपी की विचारधारा में विश्वास रखते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोककल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा करते हैं। आने वाले दिनों में और भी ज्वाइनिंग की संभावना है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी का कहना है कि जिला अध्यक्षों की सूची कभी भी जारी की जा सकती है और उनकी तैयारी पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि सूची आलाकमान को भेज दी गई है और अब सिर्फ स्वीकृति की प्रतीक्षा है।

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