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बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला…

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बृज बिहारी प्रसाद, जो कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी के एक प्रमुख नेता थे, की हत्या 1988 में हुई थी। उनके हत्या के मामले में कई लोगों पर आरोप लगे, लेकिन 2014 में पटना हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड: बिहार के चर्चित बृजबिहारी प्रसाद हत्या मामले में बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला और उनके सहयोगी मंटू तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 15 दिन के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। इस मामले में बाहुबली नेता सूरजभान और राजन तिवारी सहित छह अन्य लोग भी आरोपी थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस संजीव खन्ना कर रहे थे, ने हाई कोर्ट के द्वारा आरोपियों को बरी करने के आदेश को बरकरार रखा है।

हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया था बरी

पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 1998 में हुई थी। इस मामले में, बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह और मुन्ना शुक्ला सहित आठ आरोपियों को 2009 में निचली अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा दी गई थी, लेकिन 2014 में पटना हाई कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी और पूर्व सांसद रमा देवी और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

बृजबिहारी प्रसाद की दुश्मनी 90 के दशक में छोटन शुक्ला गैंग से मानी जाती थी। 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या के बाद बृजबिहारी से जुड़े लोगों का नाम सामने आया था। कुछ वर्षों बाद, छोटन के भाई भुटकुन शुक्ला की भी हत्या हुई। 1998 में, बृजबिहारी प्रसाद पर मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के बाद, वह पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान केंद्र में भर्ती हुए, जहां यूपी के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला समेत चार लोगों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

पटना की विशेष कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला, सूरजभान, राजन तिवारी, मंटू तिवारी, मुकेश सिंह, ललन सिंह, कैप्टन सुनील सिंह, और राम निरंजन चौधरी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2014 में पटना हाई कोर्ट ने सबूतों को अपर्याप्त बताते हुए सभी को बरी कर दिया।

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