यूएनएफपीए की ताजा रिपोर्ट कहती है कि भारत में अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है। तो, हम यह कैसे जानते हैं? हम लोगों की गिनती नहीं करते!
जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकला भारत भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ चुका है। यह संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के नए आंकड़ों पर आधारित है। भारत की जनसंख्या अब 1.3 बिलियन से अधिक होने का अनुमान है, जबकि चीन की जनसंख्या 1.4 बिलियन से अधिक है। इसका मतलब है कि भारत की आबादी चीन से 20 लाख ज्यादा है। लेकिन यूएनएफपीए यह कैसे जानता है? वे हर साल जनगणना नहीं करते हैं, इसलिए वे विभिन्न देशों की जनसंख्या का पता लगाने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
कैसे चलता है पता?
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) देश की जनसंख्या के बारे में डेटा एकत्र करता है और उस जानकारी का उपयोग देश की जनसंख्या का अनुमान लगाने के लिए करता है। यूएनएफपीए जनसंख्या का पता लगाने के लिए जिन तीन चीजों पर विचार करता है, वे हैं जन्म, मृत्यु और प्रवास।
डेमोग्राफी विज्ञान से होती है गिनती जनसांख्यिकी प्रत्येक व्यक्ति की गणना किए बिना जनसंख्या के आकार का अनुमान लगाने की एक विधि है। यूएनएफपीए (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) ने विभिन्न क्षेत्रों के जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें भौतिक विज्ञान, आर्थिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान जैसी चीज़ें शामिल थीं।
ई पैरामीटर पर आधारित होता है अनुमान यह तकनीक बिना गिनती के किसी देश की जनसंख्या का अनुमान लगाने में मदद कर सकती है। जन्म और मृत्यु दर, शिक्षित और निरक्षर लोगों की संख्या, लिंगानुपात और आयु विवरण जैसे मापदंडों का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे किसी देश की जनसंख्या का अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है।
सरकारी आंकड़ों का भी होता है इस्तेमाल यूनिसेफ जनसंख्या का अनुमान लगाने के लिए सरकारों, अन्य संगठनों और दूरसंचार कंपनियों के डेटा का उपयोग करता है। ऐसा करके वे इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी देश में कितने लोग रह रहे हैं। वे इस अनुमान को बनाने में मदद के लिए देश भर में स्थापित टावरों की जानकारी का भी उपयोग करते हैं।