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महिला नर्सिंग कर्मचारी गहलोत सरकार के खिलाफ बोला…

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महिला नर्सिंग कर्मियों की मांग उनके ग्रेड वेतन को 2800 से बढ़ाकर 3600 करने की है। एक अन्य मांग महिला नर्सिंग कर्मियों की नौकरी के शीर्षक को बदलने की है ताकि उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया जा सके। तीसरी मांग सरकार से सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) के पद पर बहाल करने की है।

महिला नर्सिंग स्टाफ विरोध: अपनी तीन सूत्रीय मांगों के साथ राजस्थान की महिला नर्सिंग कर्मचारियों ने 1 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल और धरना प्रदर्शन आरंभ किया है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही है। पिछले दिनों महिलाओं ने धरना स्थल पर भजन गाकर सरकार को जगाने का प्रयास किया था। उन्होंने सरकार के लिए सद्बुद्धि के लिए हवन यज्ञ किया और हनुमान चालीसा का पाठ भी किया, लेकिन सरकार ने अभी तक इन महिला नर्सिंग कर्मचारियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

भैंस के आगे बजाई बीन 

महिला नर्सिंग कर्मचारियों ने 1 मई से लगातार धरना प्रदर्शन किया है। वे धरना स्थल पर भजन गाकर, सरकार के लिए हवन यज्ञ करके हनुमान चालीसा का पाठ भी किया है, लेकिन उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। महिला नर्सिंग कर्मचारियों ने कांग्रेस की सरकार को जगाने के लिए आज भैंस के आगे बीन बजाई है। उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनेगी, तो वे आगे उग्र आंदोलन करेंगे।

मिनी सचिवालय पर 17 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी महिला नर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी मांगों को आवश्यकतानुसार उठाया है। उनकी इच्छा है कि सरकार जल्दी से उनकी मांगों को पूरा करें। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक धरना जारी रहेगा। एएनएम एलएचवी की जिला उपाध्यक्ष सरोज कुंतल ने बताया है कि उनकी मांग है कि उनकी ग्रेड-पे को 2800 से 3600 तक बढ़ाया जाए और पदनाम बदला जाए। उन्होंने कहा कि एएनएम एलएचवी के पद जो लुप्त किए गए हैं, उन्हें वापस से शुरू किया जाए।

क्या कहना है पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी का 

पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कप्तान सिंह ने बताया है कि ANM और LHV (लेडी हेल्थ विजिटर) ने कोरोना महामारी के समय घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया है, लोगों की सेवाएं की हैं। कोरोना काल में सभी अधिकारी घरों में बंद थे और उस समय सरकार ने उनकी प्रशंसा की थी। यहां उनकी समस्याओं को लेकर बैठी हुई हैं, लेकिन अब तक कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया है। राजस्थान सरकार में मंत्री और भरतपुर विधानसभा के विधायक डॉ. सुभाष गर्ग रोजाना आते हैं, लेकिन सरकार को सिर्फ अपने प्रचार से ही मतलब होता है और किसी से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। महिला नर्सिंग कर्मचारी ने कहा है कि कोई नुमाइंदा आकर उनके साथ बात करें और सरकार को इस मुद्दे में गंभीरता दिखानी चाहिए। वे मेडिकल ग्रासरूट के वर्कर हैं और महिला नर्सिंग कर्मचारियों को प्रतिष्ठित कर्मचारियों के रूप में मान्यता देनी चाहिए।

क्या कहना है एएनएम / एलएचवी एसोसिएशन की उपाध्यक्ष का 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कप्तान सिंह ने यह कहा कि ANM और LHV (लेडी हेल्थ विजिटर) ने कोरोना महामारी के समय घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया है, लोगों की सेवाएं की हैं और सरकार ने उनकी प्रशंसा की है। लेकिन अब यह महिला नर्सिंग कर्मचारियों का कहना है कि वे धरना देकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि इस धरने में वे 17 दिन से बैठी हुई हैं और गर्मी के दौरान उनकी स्थिति बहुत कठिन है। उन्हें कई बार बेहोशी भी हो जाती है। वे कह रही हैं कि गहलोत सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं दे रही हैं और उनकी परेशानी को नजरअंदाज कर रही है। वे इस प्रदर्शन से यह संकेतित करना चाह रही हैं कि उनके धरना प्रदर्शन का कोई असर नहीं हो रहा है, जैसे कि भैंस के आगे बीन बजाने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को मानने को तैयार नहीं है, तो उनका आंदोलन और भी उग्र होगा.

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