यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तिहाड़ जेल से अदालत में पेश किया गया था, लेकिन उन्होंने शारीरिक रूप से कोर्ट में पेश होने की इच्छा जताई है।
यासीन मलिक को मौत की सजा की याचिका: कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कटपालिया की बेंच सुनवाई कर रही है। इस दौरान यासीन मलिक ने अदालत को सूचित किया कि वह व्यक्तिगत रूप से बहस करेंगे और अपने बचाव में दलीलें पेश करेंगे।
यासीन मलिक को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में पेश किया गया था। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने पहले ट्रायल कोर्ट में खुद अपनी ओर से बहस की थी और उस समय एनआईए ने उन्हें शारीरिक रूप से कोर्ट में पेश किया था। यासीन ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट में भी ऐसा ही किया जा सकता है और इसके लिए कोई विशेष कारण नहीं है।
अपनी पसंद का कर लें वकील: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने यासीन मलिक को विकल्प दिया कि वह न्याय मित्र की आवश्यकता की स्थिति में अपनी पसंद के वकील का नाम बता सकते हैं, या न्याय मित्र की नियुक्ति के लिए कह सकते हैं। हालांकि, मलिक ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।
पीठ ने पिछले साल अगस्त में दिए गए आदेश पर भी ध्यान दिया और मलिक को सलाह दी कि यदि वह शारीरिक रूप से पेश होना चाहते हैं, तो उन्हें इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए। मलिक ने इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया और कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही बहस करेंगे, लेकिन उनका अनुरोध रिकॉर्ड पर आना चाहिए।
अदालत ने मलिक से पूछा कि क्या वह कानून और दस्तावेजों पर भरोसा करते हुए अपील या लिखित बयान दाखिल करना चाहेंगे। मलिक ने इस पर विचार करने के लिए समय मांगा और अदालत को अगली सुनवाई की तारीख, 15 सितंबर को सूचित करने का आश्वासन दिया।