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राजस्थान में पायलट-गहलोत सुलझ गया विवाद…

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चार घंटे तक चले मंथन के बाद, एक दावा किया गया कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट, किसी गिले-शिकवे के बिना, एकसाथ राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए उम्मीदवारी लेंगे।

सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चल रही आपसी अनबन की अब एक समाप्ति हुई है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मामले पर बताया है कि राजस्थान में सब ठीक हो रहा है और जल्द ही सभी मुद्दों का समाधान हो जाएगा। खरगे के अनुसार, राजस्थान में कर्नाटक की तरह एक समझौता का सूत्र स्थापित किया गया है।

सोमवार को हुई चार घंटे की मैराथन बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी मौजूद थे। इस बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी शामिल थे। यह बैठक संगठनात्मक मुद्दों और राजनीतिक स्थिति को समझने और समाधान ढूंढने के लिए आयोजित की गई थी।

क्या खत्म हो गए गहलोत-पायलट के गिले-शिकवे?

चार घंटों तक चले मंथन के बाद, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने तमाम गिले-शिकवे छोड़कर एकसाथ कांग्रेस पार्टी के लिए राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने का दावा किया गया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसकी पुष्टि की और कहा कि गहलोत और पायलट ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसे एक संयुक्त लड़ाई के रूप में बीजेपी के खिलाफ देखा जा रहा है और उन्होंने यकीन दिलाया कि कांग्रेस राजस्थान चुनाव में जीत हासिल करेगी।

क्या कर्नाटक की तरह निकाला गया फॉर्मूला?

हालिया कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार तरीके से बहुमत हासिल करके सरकार बनाई है। यहां तक कि कांग्रेस को सरकार बनाने से पहले काफी मुश्किलें आईं, क्योंकि उन्हें कर्नाटक के दो धड़ों को एकसाथ लाने के लिए अपने आंतरिक मामलों को संघर्षपूर्ण रूप से संघटित करना पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया अपने आखिरी चुनाव के बाद खुद को सीएम के पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर रहे थे, जबकि कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी सीएम पद पर अपना दावा रख रहे थे।

कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच चल रही सियासी खींचतान को समाप्त करने के लिए कार्रवाई की है। कुछ दिनों के बाद ही, दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस आलाकमान ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, सीएम पद का फैसला चुनाव के बाद के लिए सुर्खियों में नहीं आने का फैसला हुआ है। चुनाव के बाद जब सीएम पद को लेकर विवाद हुआ तो विधायकों ने गेंद आलाकमान के पास डाल दी।

कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ विस्तृत बातचीत के बाद सीएम का नाम तय कर दिया है। इस बातचीत में विधायकों के समर्थन पर भी चर्चा हुई, जो सिद्धारमैया के पक्ष में थे। कांग्रेस ने बीच मार्ग निकालते हुए डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम के पद के साथ महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी है।

राजस्थान में कितना चलेगा कर्नाटक फॉर्मूला?

राजस्थान में कांग्रेस के पास वर्तमान में दो ही प्रमुख नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट हैं, जिनकी ताकत पूरे राज्य में मान्यता है। यह चुनाव अशोक गहलोत के अंतिम चुनाव के रूप में भी माना जा सकता है, जिससे कांग्रेस को उन्हें एक बार फिर सीएम बनाने का मौका मिल सकता है।

वहीं, सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद के साथ महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। यह कर्नाटक के तरीके की एक प्रतिलिपि हो सकती है, हालांकि यह देखा जाना होगा कि यह फार्मूला राजस्थान में कितना सफल होता है। यह देखने योग्य होगा कि मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा राजस्थान के बारे में कही गई बातें कितनी सही साबित होती हैं। समय ही बताएगा कि ये सभी चर्चाएं कैसे फलित होती हैं।

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