महासचिव चंपत राय ने बताया कि तीनों ही प्रतिमाएं बहुत अच्छी बनी हैं और इनमें से किसी एक का चयन करना मुश्किल है।
राम मंदिर का उद्घाटन: अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन की तैयारियों के बीच शुक्रवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक हुई. इस बैठक में चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि मंदिर में किस मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी. ट्रस्ट के सदस्यों ने तीनों मूर्तियों पर अपनी-अपनी राय रखी, हालांकि बैठक के दौरान मंदिर में कौन सी मूर्ति स्थापित की जाएगी, इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई.
भगवान राम (राम लला) की मूर्ति के चयन के बारे में ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा कि तीनों मूर्तियां बेहद अच्छी तरह से तैयार की गई हैं। वे इतने उत्कृष्ट हैं कि उनमें से किसी एक को चुनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इन मूर्तियों की गहनता से जांच की है और इस मामले पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.
चंपत राय ने बताया कैसी बनीं हैं प्रतिमाएं
चंपत राय ने कहा, “रामलला की प्रतिमा सभी ट्रस्टीज़ ने देखी है, सभी ने अपने-अपने विचार भी दिए हैं, सब अपनी राय देंगे, तीनों प्रतिमाएं बहुत अच्छी, बड़े परिश्रम से बनी हैं. मूर्तिकार ने अपनी आत्मा लगाकर काम किया है, तीनों इतनी श्रेष्ठ हैं कि किसी एक का चयन करना ही बड़ा दुविधा में पड़ गया है. भगवान मनुष्य का चयन करते हैं, हम क्या भगवान का चयन करेंगे, लेकिन तो भी तो कुछ करना है. आज सबने देखा है. जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय हो जाएगा.”
ट्रस्ट के सदस्यों ने देखी प्रतिमाएं
शुक्रवार को ट्रस्ट के सदस्य राम मंदिर से तीन किमी दूर कारसेवक पुरम गए, जहां पर तीनों प्रतिमाओं को रखा गया है. इस दौरान ट्रस्ट के सदस्यों ने मूर्तियों को देखा और उस पर अपने-अपने मत रखे. हालाँकि इन तीनों में से किस मूर्ति को गर्भगृह में विराजित किया जाएगा, इसे लेकर अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हो सका है.
दरअसल राम मंदिर के लिए कारसेवक पुरम में भगवान राम की तीन मूर्तियां तैयार की गई हैं. ये तीनों प्रतिमाएं अलग-अलग मूर्तिकारों ने बनाई हैं. ये सभी मूर्तिकार देश के जाने-माने मूर्तिकार हैं. इनमें एक मूर्ति गणेश भट्ट ने बनाई है. इन्हें कर्नाटक स्टेट में कई अवॉर्ड दिए गए हैं. दूसरी प्रतिमा जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने बनाई हैं. इनका परिवार सात दशकों से संगमरमर की मूर्तियां बनाने का काम कर रहा है और तीसरी मूर्ति अरुण योगीराज ने बनाई है, जो मैसूर महल के मूर्तिकारों के परिवार से हैं.