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सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को दी जमानत…

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कोर्ट ने आदेश दिया है कि सिसोदिया को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और उन्हें गवाहों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही, उन्हें हर सोमवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट भी करना होगा।

मनीष सिसौदिया जमानत: दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को शुक्रवार (9 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत दे दी है, लेकिन कुछ शर्तें भी लगाई हैं। कोर्ट ने सिसोदिया को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और गवाहों को प्रभावित न करने की बात कही है। इसके अलावा, उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 बजे से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होने का आदेश दिया गया है।

जमानत देते हुए कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अक्टूबर में बताया गया था कि मुकदमा 6-8 महीने में पूरा हो सकता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो आरोपी जमानत की फिर से मांग कर सकता है। आरोपी, जो लंबे समय से जेल में है, ने PMLA की धारा 45 के तहत जमानत की शर्तों में छूट की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया कि आरोपी गैरजरूरी दस्तावेज मांग रहा है और सैकड़ों आवेदन दाखिल किए हैं, लेकिन रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत नहीं होता। ED और CBI दोनों ने बहुत अधिक आवेदन नहीं किए हैं, इसलिए निचली अदालत और हाई कोर्ट के निष्कर्षों से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं है। आरोपी को दस्तावेज देखने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि ED के वकील ने 3 जुलाई तक जांच पूरी करने की बात की थी, जो अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट को बताई गई 6-8 महीने की सीमा से परे है। इस देरी के कारण निचली अदालत में मुकदमा शुरू होने की संभावना नहीं थी। व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और इसका बिना उचित कारण के उल्लंघन नहीं हो सकता। निचली अदालत और हाई कोर्ट अक्सर इस बात को नहीं समझते कि जमानत सामान्य नियम है और जेल अपवाद। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत की याचिकाओं की बड़ी संख्या आती है।

‘न्यायिक प्रक्रिया को ही दंड नहीं बनाया जाना चाहिए’

सुुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को ही दंड (Process Is the Punishment) नहीं बनाया जाना चाहिए. मनीष सिसोदिया के देश छोड़ने की आशंका को लेकर कोर्ट ने कहा कि आरोपी का समाज मे गहरा आधार है. उसके फरार होने का अंदेशा नहीं है. निचली अदालत ज़मानत की शर्तें तय कर सकती है. सबूत मिटाने की आशंका पर भी शर्ते तय की जाएं.

किन शर्तों पर जमानत?

  • 10-10 लाख के 2 मुचलको पर ज़मानत
  • पासपोर्ट जमा करें
  • हर हफ्ते सोमवार, गुरुवार सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी को रिपोर्ट करें
  • गवाहों को प्रभावित न करें

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