मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि सिसोदिया ने यहां न्यूनतम सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है और इस सजा की कोई निश्चित समाप्ति तिथि नहीं है।
मनीष सिसौदिया की जमानत और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: दिल्ली शराब घोटाला मामले में 17 महीने से जेल में बंद मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को जमानत दे दी। उन्हें पहले ईडी ने गिरफ्तार किया था, फिर सीबीआई ने भी उन्हें अरेस्ट कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया ने निचली अदालत में सीबीआई मामले में 13 और ईडी मामले में 14 याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन मामला खिंचता रहा। कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट दोनों की आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस केस में अब तक 400 से ज्यादा गवाह और हजारों दस्तावेज पेश किए जा चुके हैं और केस के जल्दी समाप्त होने की कोई संभावना नहीं दिखती। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को हिरासत में रखना मौलिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा और निचली अदालत और उच्च न्यायालय को यह समझना चाहिए कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।
‘अब मामले को निचली अदालत भेजना न्याय का अपमान होगा’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को निचली अदालत में भेजना न्याय का अपमान होगा और त्वरित सुनवाई के लिए ईडी और सीबीआई के रुख में विरोधाभास है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इस मामले को ट्रायल कोर्ट में भेजना जैसे सांप-सीढ़ी के खेल जैसा होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया की ओर से कोई गलती नहीं है, बल्कि देरी ईडी और सीबीआई की ओर से की गई है।
मनीष सिसोदिया ने अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उन्होंने न्यूनतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता दी है।
सिसोदिया के वकील, अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि सिसोदिया ने न्यूनतम सजा की आधी अवधि बिता दी है और मामले में कोई ठोस सबूत या चैट नहीं है। उन्होंने ईडी के इस दावे को भी खारिज किया कि सिसोदिया जमानत मिलने के बाद सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, यह बताते हुए कि सभी गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं और सिसोदिया 17 महीनों से जेल में हैं।