सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन केस पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से नोटिस भेजने की व्यवस्था का सुझाव दिया।
बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई ने धर्मनिरपेक्षता पर जोर देते हुए कहा कि अवैध निर्माण चाहे हिंदू का हो या मुस्लिम का, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कानून सभी के लिए समान हो।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि दो अवैध ढांचे हैं और किसी अपराध के आरोप के आधार पर केवल एक को गिराया जाता है, तो इससे निश्चित रूप से सवाल उठेंगे।
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी की ओर चुटकी लेते हुए कहा, “मैं हैरान हूं कि गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है?” इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया कि वकील कभी-कभी निशुल्क भी पेश होते हैं, जिससे सुनवाई के दौरान माहौल थोड़ा हल्का हो गया।
इस बातचीत के बाद जस्टिस गवई ने कहा कि वे आगे की बात करेंगे और यह देखेंगे कि उनके आदेश का क्या परिणाम निकलेगा।
‘गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है?’
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी एक याचिकाकर्ता की ओर से बोलने के लिए खड़े हुए। इसी दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मजाकिया अंदाज में कहा, “मैं हैरान हूं कि गरीब याचिकाकर्ता सिंघवी जी की फीस कैसे दे पा रहा है?”
इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने चुटीले अंदाज में जवाब दिया कि, “आप भूल रहे हैं, हम वकील कभी-कभी निशुल्क भी पेश होते हैं।” इस हलके-फुल्के संवाद के बाद, जस्टिस गवई ने कहा कि वे आगे की बात करेंगे और देखेंगे कि उनके आदेश का क्या परिणाम निकलता है। यह बातचीत सुनवाई के दौरान माहौल को थोड़ा हल्का करने में सहायक रही।
‘छवि बना रहे कि एक समुदाय निशाने पर है’
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन केस की सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से नोटिस भेजने का सुझाव दिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं को 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि “यहां ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।”
तुषार मेहता ने बताया कि वर्तमान में नोटिस दीवार पर चिपकाए जा रहे हैं, जबकि लोग मांग कर रहे हैं कि यह प्रक्रिया गवाहों की मौजूदगी में हो। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने टिप्पणी की कि यदि नोटिस बनावटी हो सकता है, तो गवाह भी गढ़े जा सकते हैं, और यह समाधान नहीं लगता। उन्होंने कहा कि अगर 10 दिन का समय दिया जाता है, तो लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे।
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि यह स्थानीय म्युनिसिपल नियमों से छेड़छाड़ होगी, जिससे अवैध निर्माण को हटाना मुश्किल हो जाएगा। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने इस पर ध्यान दिया कि जिन परिवारों को हटाया जा रहा है, उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था के लिए भी 15 दिन का समय मिलना चाहिए, क्योंकि घर में बुजुर्ग भी रहते हैं और लोग अचानक कहां जाएंगे।