ज्ञानवापी में पूजन की मांग पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के द्वारा मुस्लिम और हिन्दू पक्ष दोनों की तरफ से आम लोगों को भी इस मामले में अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिला है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामला: आज आठवां दिन है जब ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम भारतीय पुरात्तव विभाग (ASI) की टीम द्वारा संवेदनशीलता के साथ किया जा रहा है। इस सर्वे के माध्यम से, ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार से लेकर तहखानों, गुंबद और छत की ढलाई जैसे विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जांच की जा रही है। इसी समय, ज्ञानवापी में पूजन की मांग के संबंध में अदालत में एक मुकदमा पर भी सुनवाई होगी, जिसकी तारीख 11 अगस्त है। पहले भी अदालत ने सामान्य लोगों को इस मुकदमे में पक्षधर बनने का अवसर दिया है, उन्हें प्रार्थना पत्र जमा करने और अपनी आपत्तियों को दर्ज करने की स्वतंत्रता है। आम लोगों को इस बारे में जानकारी देने के लिए चौक में डुगडुगी बजाकर बताया गया है कि यदि कोई इस मुकदमे में पक्षधर बनना चाहता है या अपनी कोई आपत्ति दर्ज करना चाहता है, तो वह 11 अगस्त को सुबह साढ़े दस बजे तक व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से बातचीत कर सकता है।
आम लोगों को भी पक्षकार बनने का मौका
वास्तव में, ज्ञानवापी में पूजन के संबंध में संजय कुमार रस्तोगी, नवीन कुमार, अमित कुमार सिंह और अखंड प्रताप सिंह ने सिविल जज की अदालत में एक वाद दायर किया है। इसके बाद कोर्ट ने सामान्य लोगों को भी इस मामले में पक्षधर बनने का मौका दिया है। इस मामले में आज सुनवाई होनी है, और इसमें अंजुमन इंतजामिया कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया है।
जानें क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर, जिसे लोहे की बेरिकेडिंग से घिरा हुआ है, में स्थित मां श्रृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर सहित सभी देवी-देवताओं की नियमित पूजा और दर्शन हो सकें, और प्रतिवादी इसमें कोई अवरोध न उत्पन्न करें। इसके साथ ही, यहां हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्हों जैसे त्रिशूल, कमल का फूल और घंटी को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए और हिन्दू लोगों को किसी भी रूकावट के बिना आने-जाने की अनुमति देनी चाहिए।