वायनाड में भूस्खलन के चलते बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है। राहत कार्यों के तहत लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है, और बचाव ऑपरेशन जारी है।
वायनाड भूस्खलन समाचार: केरल के वायनाड में भूस्खलन से हुई भारी तबाही के बाद एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है। मलबे और कीचड़ के नीचे से लगातार शवों की खोज की जा रही है, जिनकी पहचान की जा रही है। मंगलवार (6 अगस्त) को रेस्क्यू ऑपरेशन का आठवां दिन है। अब तक भूस्खलन में 408 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 226 शव बरामद हुए हैं और 182 बॉडी पार्ट्स प्राप्त हुए हैं।
एनडीआरएफ, सेना और वॉलंटियर्स की टीमें सोचीपारा के सनराइज वैली इलाके में खोज और बचाव अभियान चला रही हैं। यह क्षेत्र अत्यंत दुर्गम है और यहां रेस्क्यू ऑपरेशन अभी तक नहीं पहुंच पाया था। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा एक टीम यहां भेजी जाएगी, जो लोगों की खोज और बचाव कार्य में मदद करेगी। हाल की बारिश के रुकने से रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है, जबकि शुरुआती दिनों में बारिश ने बचाव कार्य को कठिन बना दिया था।
भूस्खलन में मारे गए अज्ञात लोगों का हुआ अंतिम संस्कार
देर रात पुथुमाला में हुए भूस्खलन में मारे गए 29 अज्ञात लोगों और 154 बॉडी पार्ट्स का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया है। उनकी आत्मा की शांति के लिए आज सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया है। वायनाड के मुंडक्कई में सातवें दिन सर्च ऑपरेशन के दौरान छह और शव मिले हैं, जिससे कुल मृतकों की संख्या 226 हो गई है। अब तक वायनाड से 150 और नीलांबुर से 76 शव मिले हैं, जबकि वायनाड से 24 और नीलांबुर से 157 सहित कुल 181 शरीर के अंग बरामद किए गए हैं।
वायनाड रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में पहुंच गया है। केरल के एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर एमआर अजीत कुमार ने बताया कि रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, “कीचड़ वाले क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी भूमि क्षेत्र की खोज कर ली गई है। आज हम ग्राम कार्यालय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 12 व्यक्तियों का चयन किया गया है, जिन्हें हवाई मार्ग से उतारा जाएगा ताकि वे शवों की तलाश कर सकें।”
केरल सरकार ने बताया कि वायनाड भूस्खलन से प्रभावित आदिवासी परिवारों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) विभाग द्वारा संचालित राहत शिविरों में सुरक्षित स्थान दिया गया है। इनमें बच्चों सहित 47 लोग शामिल हैं, जिन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है। क्षेत्र के सभी आदिवासी परिवार वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों में भूस्खलन से सुरक्षित रहे हैं और इन्हें जल्द से जल्द पुनर्वासित करने की योजना बनाई जा रही है।