वक्फ संशोधन बिल पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस बिल के माध्यम से मोदी सरकार कलेक्टर शासन को फिर से लागू करना चाहती है।
वक्फ संशोधन विधेयक पर असदुद्दीन ओवैसी: केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार (08 अगस्त) को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संसद में पेश किया, जिसे बाद में जेपीसी के पास भेज दिया गया। इस पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने टिप्पणी की कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है और नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाए गए इस बिल के बाद वक्फ की कोई पहचान ही नहीं बचेगी।
ओवैसी ने कहा, “विधेयक पेश किए जाने से पहले हमने नियम 72 के तहत स्पीकर को नोटिस भेजा था कि हम इस विधेयक के खिलाफ हैं। हमारा मानना है कि यह विधेयक अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और संविधान के मूल ढांचे को तोड़ता है। यह विशेष रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन करता है। आप उन मस्जिदों और दरगाहों को छीनना चाहते हैं जिन पर आरएसएस और दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठनों का दावा है। इस विधेयक में कई खतरनाक धाराएं हैं जो वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं, बल्कि इसे खत्म करने की कोशिश कर रही हैं। उनके तर्क झूठे हैं। यह कानून नहीं है, बल्कि वक्फ को ध्वस्त करने और मुसलमानों को समाप्त करने की कोशिश है।”
‘बिल में खतरनाक प्रवाधान रखे गए’
वक्फ संशोधन बिल पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल मुसलमानों की मस्जिदों और उनकी जमीनों के साथ-साथ वक्फ की जमीनों पर कब्जा जमाए लोगों को इनाम देने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार लेकर आई है।
उन्होंने कहा कि बिल को जेपीसी के पास भेजना सही कदम है, लेकिन अगर यह विधेयक इसी रूप में बना रहा तो वक्फ बोर्ड का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसमें जो प्रावधान शामिल किए गए हैं, वे अत्यधिक खतरनाक हैं। जिस उद्देश्य से संपत्ति को वक्फ किया जाता है, सरकार उसे ही छीन रही है।
ओवैसी ने यह भी कहा कि इस बिल के माध्यम से मोदी सरकार कलेक्टर राज को फिर से लागू करना चाहती है। यदि वक्फ बोर्ड का किसी मामले में कलेक्टर से विवाद होगा, तो कलेक्टर सरकार के पक्ष में रिपोर्ट देगा। पहले जो ट्रिब्यूनल था, उसमें एक जज नियुक्त होता था, लेकिन अब उन्होंने उसे हटाकर एक सेवानिवृत्त जज को रखा है। अगर आप पूरी योजना को देखें, तो यह वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उसे नष्ट करने के लिए है।