वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर गुरुवार को संसद में तीव्र हंगामा हुआ। विपक्षी दल एकजुट होकर इस बिल का विरोध करते दिखाई दिए। कई सांसदों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करने की भी धमकी दी।
वक्फ संशोधन विधेयक नवीनतम समाचार: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को गुरुवार (8 अगस्त 2024) को लोकसभा में पेश किया गया, जिस पर कांग्रेस और अन्य दलों ने विरोध जताया। इस बिल के खिलाफ सबसे पहले केरल से कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने मोर्चा खोला और नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला किया।
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह बिल अधिकारों पर हमला है और संविधान का उल्लंघन करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह बिल पेश किया है, और वे देश के लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने भी चिंता जताते हुए कहा कि इससे भेदभाव होगा और कलेक्टर को कई अधिकार दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे व्यक्ति को उनके धर्म से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, और अगर स्थिति ऐसी ही रही तो जनता सड़कों पर आ सकती है।
टीएमसी सांसद ने बताया इसे संविधान के खिलाफ
टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है, खासकर अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ, जो धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित हैं। डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी सरकार की आलोचना की और कहा कि यह बिल संविधान की सर्वोच्चता और मानवता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ भी है और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान करके अनुच्छेद 30 का उल्लंघन करता है।
एनसीपी की सुप्रिया सूले ने भी सरकार पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस बिल को वापस लेना चाहिए और कम से कम इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। सुप्रिया सूले ने आरोप लगाया कि यह बिल मीडिया से पहले सामने आया, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। उन्होंने बिल के विभिन्न प्रावधानों, जैसे कलेक्टर को दिए गए अधिकार और कुछ सेक्शन को हटाने पर सवाल उठाए। सूले ने कहा कि यह बिल राज्यों की चिंताओं को नजरअंदाज करता है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठाता है। उन्होंने इस बिल की टाइमिंग पर भी संदेह व्यक्त किया।
छोटे दलों के सांसदों ने भी किया खुला विरोध
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद ईटी मो. बशीर ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की आलोचना करते हुए कहा कि यह बिल धर्मनिरपेक्षता को समाप्त कर रहा है और कलेक्टर को अत्यधिक अधिकार प्रदान करता है। सीपीआई (एम) के सांसद के. राधाकृष्ण ने भी इस बिल का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की, या कम से कम स्टैंडिंग कमेटी में भेजे जाने की बात की। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने भी कहा कि यह बिल मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहा है और न्यायपालिका के सामने टिक नहीं पाएगा, इसलिए इसे कमेटी में भेजा जाना चाहिए।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल पर तीखा हमला किया, आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मुसलमानों को प्रार्थना से भी रोकने का प्रयास कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति को पांच साल इंतजार करना होगा यदि वह प्रैक्टिस में नहीं है या नया धर्म परिवर्तन करता है, जबकि ऐसा कोई प्रावधान हिंदू एंडोमेंट या सिख गुरुद्वारा प्रबंधन के लिए नहीं है। ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि वक्फ प्रॉपर्टी को पब्लिक प्रॉपर्टी के रूप में मान्यता देने का प्रयास किया जा रहा है और सरकार महिलाओं को वक्फ प्रॉपर्टी देने का दावा कर रही है, लेकिन उन्हें इसमें विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ है और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुँचाना है।
कांग्रेस के इमरान मसूद ने बोले- हम विरोध करेंगे
कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की आलोचना करते हुए कहा कि यह भेदभावपूर्ण है और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को कब्जाने की योजना को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने धारा 40 को हटाने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद इसे हटाना संविधान का उल्लंघन है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह बिल एक सोची-समझी राजनीति का हिस्सा है और जिलाधिकारी को अधिक ताकत देने से भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी अपनी हताशा और कट्टर समर्थकों को संतुष्ट करने के लिए यह बिल ला रही है।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहा है। उन्होंने इसे चुनावी राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशों को देश ने खारिज कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अल्ताफ अहमद ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि इससे देश की छवि को नुकसान पहुंचेगा।