मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया है। इस बिल के खिलाफ एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध जताया है।
वक्फ संशोधन विधेयक: मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सशक्त करना, वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और सर्वेक्षण करना, और अतिक्रमणों को प्रभावी ढंग से हटाना है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को गुरुवार को पेश किया।
इस पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताते हुए सवाल किया है कि क्या सरकार दरगाहों और वक्फ जैसी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है।
असदुद्दीन ओवैसी ने जताया विरोध
असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार प्रार्थना और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कोई व्यक्ति पांच साल से धार्मिक प्रैक्टिस नहीं कर रहा या नया धर्म अपनाया है, तो क्या उसे पांच साल इंतजार करना होगा? ऐसा कोई प्रावधान हिंदू एंडोमेंट या सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के लिए नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार दरगाह और वक्फ जैसी प्रॉपर्टियों पर कब्जा करना चाहती है। ओवैसी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मुसलमानों के खिलाफ है और इस विधेयक को इसका प्रमाण बताया।
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे संविधान पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि विधेयक में गैर-मुस्लिमों को वक्फ गवर्निंग काउंसिल का सदस्य बनाने का प्रावधान है, जो धर्म की स्वतंत्रता पर हमला है। वेणुगोपाल ने चेतावनी दी कि यह विभाजनकारी राजनीति है, जिसे देश अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस विधेयक पर अपनी आपत्ति जताते हुए सरकार से आग्रह किया कि इसे पूरी तरह से वापस ले लिया जाए या इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि बिना उचित परामर्श के विधेयक को आगे बढ़ाना उचित नहीं है।