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राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की लड़ाई चरम पर पहुंची…

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उद्धव ठाकरे को शिवसेना का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राज ठाकरे के लिए पार्टी में कोई पद नहीं बचा था, जिससे दोनों के बीच दूरियां बढ़ गईं। इसके परिणामस्वरूप, राज ठाकरे ने 2003 में शिवसेना छोड़ दी और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया।

महाराष्ट्र की राजनीति और ठाकरे परिवार में एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झगड़ा बढ़ता चला गया है और दोनों ठाकरे भाई एक-दूसरे के खिलाफ बहुत गुस्से में हैं। गोबर, सुपारी और चूड़ियों से हमलों के बाद, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। राज ठाकरे ने चेतावनी दी है कि अगर हमले जारी रहे, तो MNS के कार्यकर्ता उनके घर तक पहुंच सकते हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे ने जवाब देते हुए कहा है कि जो कुछ भी होगा, देखा जाएगा।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीड़ में उद्धव ठाकरे के समर्थकों ने राज ठाकरे की कार पर सुपारी से हमला किया। इसके बाद, MNS के कार्यकर्ताओं ने उद्धव ठाकरे की कार पर गोबर और चूड़ियां फेंककर जवाबी हमला किया। इस घटनाक्रम ने दोनों भाइयों के बीच पुरानी दुश्मनी को फिर से उभार दिया और महाराष्ट्र की राजनीति को गर्मा दिया, खासकर जब विधानसभा चुनाव साल के अंत में होने वाले हैं।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की लड़ाई की पुरानी सियासी कहानी

दोनों ठाकरे भाइयों के बीच की तनातनी अक्सर तेज हो जाती है और कई बार विवाद बढ़ जाता है। यह लड़ाई 28 साल पुरानी है, जो 1995 में शुरू हुई जब उद्धव ठाकरे ने शिवसेना में कदम रखा। उस समय, राज ठाकरे पार्टी में थे और अपने चाचा बाल ठाकरे के करीबी थे, लेकिन जैसे ही उद्धव ठाकरे की एंट्री हुई, राज ठाकरे पार्टी में हाशिए पर चले गए और उनकी नाराजगी बढ़ गई।

1997 में बृहन्मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) के चुनावों के दौरान, उद्धव ठाकरे की सिफारिश पर अधिकांश टिकट वितरित किए गए और शिवसेना ने चुनाव जीत लिया। इससे उद्धव ठाकरे की पार्टी में पकड़ मजबूत हुई और राज ठाकरे की स्थिति कमजोर होती चली गई। 2003 में, उद्धव ठाकरे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया, जिससे राज ठाकरे के लिए शिवसेना में कोई जगह नहीं बची। इस असंतोष के कारण राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।

साल 1996 में रमेश किनी मर्डर केस में भी राज ठाकरे का नाम उछला था। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिवसेना के लोग रमेश किनी के फ्लैट को लेकर उसे धमका रहे थे, और उसकी लाश बाद में एक सिनेमा हॉल में मिली थी। इस मामले में राज ठाकरे को जेल भी जाना पड़ा क्योंकि रमेश की पत्नी ने उन पर हत्या का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। इस घटना के बाद उद्धव ठाकरे की सक्रियता शिवसेना में बढ़ गई।

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