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आम आदमी की जेब काटने का साधन बना GST…

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शिवसेना ने आरोप लगाया है कि सरकार के एक मंत्री ने मेडिकल इंश्योरेंस पर लगने वाली जीएसटी को लेकर चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सामना संपादकीय: उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला है। शिवसेना ने अपने संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी लगाकर धन जुटा रही है। इसे ‘पैसे की भूखी सरकार’ करार देते हुए, संपादकीय में कहा गया है कि जीएसटी अब आम जनता की जेब काटने का एक साधन बन चुका है और सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।

सामना में लिखा गया है कि मोदी सरकार ‘विकसित भारत’ के सपने दिखा रही है, और दावा किया जा रहा है कि सरकार की आर्थिक नीतियां सही हैं। संपादकीय में कहा गया, “मोदी सरकार दावा करती है कि जीएसटी आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके तहत जीएसटी संग्रह देश की प्रगति की एक नई छलांग है।”

जीएसटी जेब काटने का साधन: शिवसेना (यूबीटी)

संपादकीय में लिखा गया, “सरकार जीएसटी का गुणगान कर रही है, क्योंकि जीएसटी से हर महीने सीधे केंद्रीय खजाने में भारी राजस्व आता है. मगर उसके चलते आम आदमी को बेवजह जो आर्थिक नुकसान हो रहा है, उसके बारे में सरकार कब सोचेगी? जीएसटी भले ही सरकार के लिए राजस्व पैदा करने का जरिया है, लेकिन आम आदमी के लिए यह जेब काटने का साधन बन गया है. एक सरकार के रूप में आपका राजस्व पर ‘लक्ष्य’ हो सकता है, लेकिन आप आम आदमी को क्यों ‘लक्ष्य’ बना रहे हैं?”

सरकार की गैंडे की खाल पर हल्का सा कंपन नहीं: शिवसेना 

शिवसेना ने सरकार पर हमला जारी रखते हुए कहा, “जब आप जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी लगाते हैं, तो यह स्पष्ट है कि आपके लिए सिर्फ पैसा और राजस्व महत्वपूर्ण हैं। आप इस पर विचार नहीं करते, और अगर विपक्षी दल संसद में इस मुद्दे को उठाते हैं, तो भी आपको कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां तक कि आपके मंत्री नितिन गडकरी ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री को इसी संदर्भ में पत्र लिखा है, लेकिन सरकार की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।”

सामना के संपादकीय में आगे लिखा गया है, “वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में गर्व के साथ बताया कि पिछले तीन वर्षों में बीमा पर जीएसटी संग्रह बढ़ा है। लेकिन सरकार को इस बात का न तो कोई खेद है और न ही अफसोस कि उन्होंने यह पैसा आम जनता की जेब से निकाला है।”

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