सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) की स्थायी नियुक्ति के आदेश की अवहेलना करने के मामले में केंद्र सरकार और सात राज्यों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इन सभी पक्षों से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
डीजीपी नियुक्ति मामले पर सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) की स्थायी नियुक्ति के आदेशों की अवहेलना के मामले में केंद्र सरकार और सात राज्यों को नोटिस भेजा है। इस मामले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और चंडीगढ़ को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने इन राज्यों से छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह नोटिस वकील सावित्री पांडे की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए। याचिका में कोर्ट से 22 सितंबर 2006 के पुलिस सुधार फैसले के दिशा-निर्देशों को लागू करने और डीजीपी की स्थायी नियुक्तियों के निर्देशों के पालन में राज्यों द्वारा की जा रही अवहेलना का आरोप लगाया गया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कुछ राज्यों ने नियमित नियुक्ति के आदेशों का पालन नहीं किया है और डीजीपी के कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाता है या किसी अन्य विभाग और पद पर नियुक्त किया जाता है।
याचिकाकर्ता की तरफ से की गई मांगें
याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्यों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और यूपीएससी की गाइडलाइंस के अनुसार स्थायी डीजीपी की नियुक्ति करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति नहीं करने का आदेश भी दिया जाना चाहिए, और केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही कार्यवाहक या अस्थायी डीजीपी की नियुक्ति की जानी चाहिए। पुलिस सुधार के फैसले में कहा गया था कि डीजीपी की नियुक्ति से पहले राज्य सरकारें यूपीएससी से परामर्श करेंगी। इसमें वर्तमान डीजीपी की सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले योग्य व्यक्तियों का एक पैनल यूपीएससी को भेजा जाएगा। यूपीएससी योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर डीजीपी पद के लिए तीन नामों का पैनल तैयार करेगा, और राज्य सरकार पैनल में से एक को नियुक्त करेगी। चाहे रिटायरमेंट की तारीख कुछ भी हो, नियुक्ति कम से कम दो वर्षों के लिए होगी।