हिडेनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कुछ दिनों पहले, अडाणी समूह पर व्यापक चर्चा हुई। इसके बाद ‘सुप्रीम’ फैसले के बाद, सुशील मोदी ने ललन सिंह को निशाना बनाया है।
पटना: सुशील कुमार मोदी ने अपने बयान में कहा है कि अडाणी समूह को सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में सभी आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के बावजूद, राहुल गांधी और ललन सिंह जैसे विपक्षी नेताओं को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी पर अनापत्ति आरोप लगाने वालों को भी माफी मांगनी चाहिए। यह बात समझनी चाहिए कि विपक्ष ने हिडेनबर्ग रिपोर्ट को बिल्कुल नजरअंदाज करके आर्थिक हड़कंप मचाने की कोशिश की है। इस दौरान जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह की एक ओर अडाणी समूह के खिलाफ अनापत्ति आरोप है, वहीं दूसरी ओर उनके मुख्यमंत्री अडाणी को बिहार के वारसलीगंज में सीमेंट फैक्ट्री खोलने के लिए जमीन दी गई है। इसके बारे में उनकी राजनीतिक दोहरापन को सवाल उठाया जा सकता है।
‘अब बोलती बंद हो गई’
सुशील कुमार मोदी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की भूमिका को भी जांच के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं खोजी है। संसद में जो लोग 20 से 80 हजार करोड़ रुपये तक के शेयर घोटाले के आरोप लगा रहे थे, उनकी आपसी वाद-विवाद बंद हो गई है, लेकिन थेथरोलॉजी (आरोपों के आधार पर जोड़े जाने वाले कारण) पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं। पहले भी राफेल विमान सौदे में घोटाले के आरोप लगाने और ‘चौकीदार चोर’ कहने के कारण राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर माफी मांगनी पड़ी थी।
सेबी कर रहा है जांच
एक बीजेपी नेता ने बयान किया है कि यदि नीतीश कुमार और महागठबंधन के संघीय दल अडाणी समूह पर लगाए गए आरोपों को सत्य मानते हैं, तो उन्हें बिहार में अडाणी समूह को दी गई जमीन का आवंटन रद्द करना चाहिए। हिडेनबर्ग द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच वर्तमान में बाजार नियामक सेबी द्वारा की जा रही है। इस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट की एक विशेषज्ञ समिति कर रही है और समिति ने यह बताया है कि अडाणी समूह के शेयरों के मूल्य में कोई अन्यायपूर्ण कार्रवाई का कोई सबूत नहीं मिला है।