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अब सेंगोल से कांग्रेस को एतराज…

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संसद के उद्घाटन के संबंध में विवाद के दौरान, सेंगोल यानी राजदंड को पावर ट्रांसफर के प्रतीक के रूप में लगाने की संभावना है।

संसद में सेंगोल: सेंगोल (Sengol) को नई संसद भवन में स्थापित करने के संबंध में, यह तय किया गया है कि इसे लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के पास राजदंड के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसकी रिहर्सल शुरू हो चुकी है और मंत्रोच्चार के दौरान सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।

सेंगोल के संबंध में विपक्षी दलों और बीजेपी के बीच राजनीतिक टकराव हो रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे कपोल कल्पना बताया है, जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूछा कि क्योंकि कांग्रेस को भारतीय परंपरा से नफरत क्यों है। बीजेपी इस मामले में सेंगोल के सवाल पर हमलावर है।

यह विवाद नई संसद भवन के उद्घाटन के समय विपन्न हो सकता है और राजनीतिक विवाद को और भी तेजी दे सकता है।

बीजेपी का सत्ता सौंपने का वक्त आ गया- अखिलेश यादव 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट से स्पष्ट होता है कि उनके अनुसार सेंगोल का संकेत बीजेपी के लिए सत्ता को सौंपने का संकेत है। वे इसका मतलब निकाल रहे हैं कि अब सेंगोल को हर कोई अपनी तरह से देख रहा है और इसका विवाद राजनीतिक सत्ता के बांटने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।

अब राजा रजवाड़े के दिन नहीं- केसी त्यागी

केसी त्यागी जी के द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर दिए गए तंज के अनुसार लगता है कि उन्हें यह मान्यता है कि राजा-राजवाड़े के दिन अब समाप्त हो चुके हैं और लोकतंत्र अब हावी हो गया है। यह बयान उनकी दृष्टि से यह प्रतिपादित करता है कि राजनीतिक पार्टियों को जनता के सामरिक और न्यायिक मानदंडों के अनुसार चुने जाना चाहिए और यह उनकी लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों के साथ मेल खाता है।

स्मृति ईरानी से लेकर हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस पर किया पलटवार

स्मृति ईरानी जी के बयान के अनुसार, उन्होंने सेंगोल (राजदंड) को भारतीय लोकतांत्रिक आजादी का प्रतीक बताया है और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्मृतिचिह्न के रूप में महत्वपूर्ण माना है। हरदीप सिंह पुरी जी के बयान के अनुसार, उन्होंने कांग्रेस को इस विषय पर तंज कसने के लिए कहा है और उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को पहले विषय के तथ्यों को समझना चाहिए और उसके बाद ही इस पर बोलना चाहिए। यह एक राजनीतिक विवाद पर आधारित बयान है और विभिन्न राजनीतिक पक्षों के बीच विचारविमर्श का विषय बना हुआ है।

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