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मां की अर्थी तीन घंटे तक श्मशान में पड़ी रही…

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राजस्थान के भीलवाड़ा में एक जमीन के टुकड़े के विवाद के कारण, मां की चिता अग्नि के लिए 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। प्रशासन ने बेटियों को मुखाग्नि देकर इस मुश्किल स्थिति को सुलझाया, जिसके लिए जद्दोजहद की गई।

राजस्थान भीलवाड़ा समाचार: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक मामला सामने आया है जो मानवता को शर्मशार करने वाला है। एक मां ने अपने बेटे और बेटियों को 9 माह कोख में पालकर जन्म दिया था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद एक जमीन के टुकड़े के विवाद के कारण, मां की चिता अग्नि को 3 घंटे तक तरसना पड़ा। इस दौरान, बेटे और बेटियां झगड़ते रहे। प्रशासन ने इस घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचकर समझाधारा की और मां का दाह संस्कार करवाया। बेटे ने इस मौके पर मां को मुखाग्नि नहीं दी और चले गए।

यह घटना भीलवाड़ा जिले के खटवाड़ा-बिगोद कस्बे में हुई थी, जहां 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला की बेटी की मृत्यु हुई थी। यह महिला भीलवाड़ा के निवासी रामचंद्र खोईवाल राधा कृष्ण मंदिर पुरानी धान मंडी में रहती थी और उनके पास चार बेटे और चार बेटियां थीं। यह महिला पिछले 9 माह से अपनी बड़ी बेटी गीता और जमाई मदनलाल के पास रह रही थी।

पुलिस ने समझाने कि कोशिस

मृत महिला के पति के पास अपार संपत्ति थी और इसी के बटवारे के चलते मृत महिला की मृत्यु के दौरान ही बटवारा कर दिया गया था। बची हुई जमीनों पर उनके बेटे ने कब्जा कर रखा है, जिसके कारण विवाद हुआ है। मृत महिला की मौत की सूचना पर रिश्तेदार और अन्य लोग मौके पर पहुंचे और अर्थी को श्मशान घाट ले गए, लेकिन उसी समय पुत्रों ने मां का दाह संस्कार भीलवाड़ा में ही करवाने की जिद पर उतर आए।

विवाद बढ़ते देख प्रशासन को सूचना मिली और इस पर बीगोद थाना अधिकारी मूलचंद वर्मा, मांडलगढ़ डीवाईएसपी कीर्ति सिंह, एसडीएम महेश गागोरिया, नायब तहसीलदार राहुल धाकड़, काछोला थाना अधिकारी दिलीप सिंह, बीगोद सरपंच प्रतिनिधि मुस्तफा लोहार सहित बड़ी संख्या में पुलिस जब्ता श्मशान घाट पर पहुंचे।

बेटियों ने दी मुखाग्नि

दुखद है कि भाई और बहन अपनी जिद पर अड़े रहे और पुलिस के समझाने के प्रयास के बावजूद मां का दाह संस्कार भीलवाड़ा करने की जिद पर टिके रहे। वहीं बेटियां बीगोद में ही दाह संस्कार करने की मांग प्रशासन के सामने रखी। मांडलगढ़ एसडीएम महेश गागोरिया ने चारों बहनों और भीलवाड़ा से आए मृत महिला के बेटों और पीहर पक्ष के लोगों से तीन दौरों में वार्ता की गई, लेकिन भाई और बहन अपनी जिद पर टिके रहे। इस पर प्रशासन ने जहां महिला की मौत हुई थी, वहीं दाह संस्कार करने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद मृत महिला को चारों बेटियों ने ही मुखाग्नि दी। यह घटना आपसी विवादों और जद्दोजहद के दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण के रूप में सामाजिक चर्चा में आई है, जो मानवता को शर्मशार करता है।

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