गंगा नदी में एक पुल का तीन पाया रविवार को गिर गया। यह पहले भी एक साल के अंदर घटित हो रही घटना है, जब एक पिलर गिर चुका था। इस बारे में अब मामला न्यायालय में पहुंच चुका है।
पटना: भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे पुल के गिरने के बाद से बिहार सरकार निशाने पर है। बीते रविवार (4 जून) को पुल के तीन पाये गंगा नदी में गिर गए, जिससे लगा कि सुनामी आ गई हो। विपक्ष महागठबंधन सरकार से सवाल पूछ रहा है, और इस मामला को अब पटना हाईकोर्ट में ले जाया गया है। पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
बीजेपी ने कहा- हाईकोर्ट के सिटिंग जज या सीबीआई से जांच हो
याचिका में अगुवानी-सुल्तानगंज पुल के ढहने के मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। इसके पहले, सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी यह कहा था कि सरकार को इस घटना की जांच के लिए पटना हाईकोर्ट के सिटिंग जज या सीबीआई की जांच करानी चाहिए। और अब, सोमवार को ही इस मामले में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
आनन-फानन में तेजस्वी ने की थी पीसी
पुल के पिलर नंबर 10, 11 और 12 के गिरने के बाद, रविवार की रात ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने बताया कि किसी की जान या माल कोई क्षति नहीं पहुंची है। एक ओर तेजस्वी ने यह जानकारी दी तो वहीं दूसरी ओर पुल पर एक गार्ड के लापता होने की खबर है, जिसकी ड्यूटी पुल पर थी। घटना के बाद से परिजनों का हालात बहुत दुखद है और सोमवार को परिजन ने गंगा घाट पर जुट गए थे।
घटना के बाद मौके पर पहुंचे विजय कुमार सिन्हा
इस पुल के ढहने के बाद, बिहार के मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश जारी किए हैं। सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा भागलपुर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि इस पुल का निर्माण कर रही कंपनी को महागठबंधन सरकार ने ब्लैक लिस्ट में डालने की बजाय उसे बिहार के सभी बड़े प्रोजेक्ट का ठेका दे दिया है। महागठबंधन सरकार को इस कंपनी से फंड प्राप्त होता है। पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी को इस्तीफा देना चाहिए और नीतीश और तेजस्वी को इस कंपनी से कमीशन लेने का आरोप लगाया जाता है।