Nation News – हर खबर सबसे पहले https://nationnews247.com Fri, 29 Nov 2024 12:38:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://nationnews247.com/wp-content/uploads/2023/01/cropped-icon-32x32.jpg Nation News – हर खबर सबसे पहले https://nationnews247.com 32 32 213545361 BMW कार के मालिक खा रहे गरीबों को मिलने वाली पेंशन… https://nationnews247.com/bmw-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%96%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%87-%e0%a4%97%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%82/ https://nationnews247.com/bmw-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%96%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%87-%e0%a4%97%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%82/#respond Fri, 29 Nov 2024 12:38:37 +0000 https://nationnews247.com/?p=35837
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केरल में भारी संख्या में सरकारी कर्मचारी अवैध रूप से सामाजिक सुरक्षा पेंशन लेते पाए गए हैं. वित्त विभाग की सूचना पर केरल मिशन के जांच में ये बड़ा खुलासा हुआ है.

सामाजिक कल्याण पेंशन केरल: केरल में सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध रूप से सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने का मामला उजागर हुआ है। जांच में सामने आया कि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य इस योजना का लाभ उठा रहे थे, जबकि यह योजना केवल गरीब और वंचित वर्गों के लिए बनाई गई थी। इस घोटाले का पर्दाफाश केरल वित्त विभाग के ऑडिट के दौरान हुआ, जब सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के लाभार्थियों का डेटा डिजिटल सिस्टम से क्रॉस-चेक किया गया।

चौंकाने वाली बात यह है कि BMW कार के मालिक और एयर कंडीशनर वाले घरों में रहने वाले सरकारी कर्मचारी भी इस पेंशन योजना का लाभ उठा रहे थे। जांच में यह भी पता चला कि कई कर्मचारियों ने पेंशन के लिए पात्रता दिखाने के लिए झूठे दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और नियमों का उल्लंघन किया। इस मामले को लेकर राज्य प्रशासन और सामाजिक कल्याण विभाग में चिंता है, और अब सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। डेटा वेरीफिकेशन और लाभार्थियों की योग्यता की जांच में कई खामियां पाई गई हैं, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।

अब क्या होगी कार्रवाई?

केरल सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले को रोकने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए सख्त कदम उठाने की घोषणा की है। सरकारी कर्मचारियों से अवैध रूप से पेंशन प्राप्त करने की राशि की वसूली की जाएगी। इसके अलावा, दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाएगी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पेंशन योजना के लाभार्थियों का चयन और सख्त किया जाएगा। साथ ही, योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग और आधार-लिंकिंग को अनिवार्य किया जाएगा।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना क्या है?

सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना केरल सरकार ने गरीबों के लिए शुरू की थी। इसके तहत बुजुर्गों, विधवाओं, विकलांगों और बीपीएल (Below Poverty Line) श्रेणी के लोगों को हर महीने पेंशन दी जाती है। इस योजना के तहत करीब 62 लाख लाभार्थियों को हर महीने 1600 रुपये की पेंशन मिलती है, ताकि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

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एकनाथ शिंदे ने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन… https://nationnews247.com/%e0%a4%8f%e0%a4%95%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%a2%e0%a4%bc%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%ac%e0%a5%80%e0%a4%9c%e0%a5%87/ https://nationnews247.com/%e0%a4%8f%e0%a4%95%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%a2%e0%a4%bc%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%ac%e0%a5%80%e0%a4%9c%e0%a5%87/#respond Fri, 29 Nov 2024 12:25:54 +0000 https://nationnews247.com/?p=35834
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एकनाथ शिंदे ने अमित शाह के साथ बैठक में विधान परिषद के अध्यक्ष पद और 12 मंत्री पद की मांग की है। इसके अलावा, शिंदे ने शिवसेना के लिए गृह मंत्रालय और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय भी मांगे हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए 6 दिन हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। इस मुद्दे पर महायुति में शामिल तीनों पार्टियों के नेताओं ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की। हालांकि, एक घंटे तक चले मंथन के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम पर कोई फैसला नहीं हो सका।

शिंदे गुट के सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात में अपनी मांगें रखीं। उन्होंने शिवसेना के लिए विधान परिषद के अध्यक्ष पद की मांग के साथ-साथ 12 मंत्री पद भी मांगे, जिनमें गृह मंत्रालय और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं। इसके अलावा, शिंदे ने शाह से यह भी अपील की कि पालक मंत्री (Guardian Minister) के रूप में शिवसेना का उचित सम्मान बनाए रखा जाए।

शिवसेना महायुति के साथ

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है। एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर अमित शाह पर विश्वास जताया और कहा कि शिवसेना महायुति के साथ है। हालांकि, बैठक में अमित शाह ने शिंदे की मांगों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। शिंदे की मांगों को लेकर राज्य में फिर से मंथन होगा और यदि जरूरत पड़ी तो अंतिम निर्णय के लिए दिल्ली की ओर रुख किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के सीएम के लिए अपनी हामी भर दी है, और बीजेपी का सीएम चेहरा देवेंद्र फडणवीस ही होंगे। शिंदे को यह समझ है कि गृह मंत्री पद फडणवीस के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसलिए सीएम की रेस से बाहर आने के बाद वे अपने कदम सोच-समझकर उठा रहे हैं।

बीजेपी शिंदे की मांगों पर विचार कर रही है, और इसी कारण नए मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल की शपथ में देरी हो रही है। बीजेपी नहीं चाहती कि शिंदे की शिवसेना को कोई आहत किया जाए। अगर शिवसेना को गृह मंत्री पद नहीं दिया गया, तो बीजेपी नगर विकास और कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों को शिंदे गुट को दे सकती है। हालांकि, यह भी खबरें हैं कि बीजेपी शिंदे की नाराजगी को दूर करने के लिए गृह मंत्रालय देने पर विचार कर सकती है, क्योंकि अगर शिंदे नाराज होते हैं, तो उसका असर महाराष्ट्र के साथ-साथ केंद्र की NDA सरकार में शामिल छोटे दलों पर भी पड़ सकता है।

बताया जा रहा है कि शपथग्रहण अब 5 दिसंबर तक हो सकता है।

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संभल में हुई हिंसा के बाद सियासी पारा बढ़ा हुआ… https://nationnews247.com/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%ad%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%88-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b8/ https://nationnews247.com/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%ad%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%88-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b8/#respond Fri, 29 Nov 2024 12:22:31 +0000 https://nationnews247.com/?p=35831
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संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है।

संभल में हिंसा: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद सियासी माहौल में तनाव बढ़ गया है। शुक्रवार को पुलिस ने अदालत और मस्जिद की सुरक्षा को मजबूत कर दिया है, क्योंकि इस दिन जुमे की नमाज और संभल के चंदौसी स्थित जिला न्यायालय में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण मामले की सुनवाई होनी है। इस मामले में सर्वेक्षण रिपोर्ट अदालत में पेश की जाएगी, और मुस्लिम और हिंदू पक्ष के वकीलों ने अपनी तैयारियों को पूरा कर लिया है।

इस बीच, शाही जामा मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वसीम और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने अहम बयान दिए हैं। केंद्रीय मंत्री जयंत सिंह चौधरी ने संभल घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट को तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम की अपनी पवित्रता है, और अयोध्या फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा तय की है, वह अब भी लागू होती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।

‘दूसरा सर्वे नहीं होगा’

शाही जामा मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वसीम ने कहा, “हमने मस्जिद की ओर से अदालत में पेश होकर अनुरोध किया कि संबंधित दस्तावेजों की प्रतियां हमें दी जाएं, और अदालत ने वही आदेश दिया। सर्वे रिपोर्ट आज नहीं पेश की गई, क्योंकि सर्वे टीम ने रिपोर्ट जमा करने के लिए और समय मांगा है। अब मस्जिद का कोई और सर्वे नहीं होगा।”

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने संभल घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट से बहुत उम्मीदें रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लगातार उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के गलत कामों को रोकने की कोशिश की है। हमारा मानना ​​है कि सुप्रीम कोर्ट अत्याचार को रोकने में मदद करेगा। इस मुद्दे पर संसद में एक संशोधन बिल आना चाहिए। पूजा स्थल अधिनियम में 2024 में संशोधन होना चाहिए और पिछले बिल की कमियों को दूर किया जाना चाहिए।”

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अमित शाह के साथ महायुति की बैठक में क्या-क्या हुआ… https://nationnews247.com/%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%80/ https://nationnews247.com/%e0%a4%85%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a4-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%80/#respond Fri, 29 Nov 2024 12:19:06 +0000 https://nationnews247.com/?p=35828
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अमित शाह के आवास पर गुरुवार को हुई एक घंटे की बैठक के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं हो सका। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री का नाम 1 दिसंबर को मुंबई में होने वाली महायुति की बैठक में घोषित किया जाएगा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद करीब सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। महाराष्ट्र में सरकार गठन के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर गुरुवार को एक बैठक हुई। बैठक में अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजित पवार शामिल हुए। यह बैठक एक घंटे तक चली, और एक तस्वीर ने बैठक की पूरी कहानी बयां कर दी।

तस्वीर में अमित शाह, जेपी नड्डा, फडणवीस और प्रफुल्ल पटेल के चेहरों पर मुस्कान थी, जबकि मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर होने वाले एकनाथ शिंदे के चेहरे पर स्पष्ट निराशा देखी जा सकती थी। चुनाव परिणामों के बाद, शिवसेना उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रही थी, लेकिन शिंदे ने खुद को ‘लाडला भाई’ बताते हुए निर्णय पीएम मोदी और अमित शाह पर छोड़ दिया।

हालांकि, बैठक के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। इस बैठक के बाद, शिंदे, फडणवीस और अजित पवार मुंबई लौट गए हैं। बताया जा रहा है कि मुंबई में महायुति की एक और बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी।

फडणवीस या कोई और?

बीजेपी को पिछले तीन चुनावों में 100 से अधिक सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस इस समय मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। वे महाराष्ट्र में बीजेपी के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और आरएसएस से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। फडणवीस ब्राह्मण हैं और वे दो बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 2014 से 2019 तक उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। हालांकि, बीजेपी के कुछ सूत्रों के अनुसार, पार्टी कुछ मराठा नेताओं के नाम पर भी विचार कर रही है, लेकिन फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है।

बीजेपी एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाना चाहती है। अमित शाह ने शिंदे से करीब आधे घंटे तक अकेले चर्चा की और बताया जा रहा है कि बीजेपी ने शिंदे की शिवसेना को एक केंद्रीय मंत्री पद और डिप्टी सीएम पद का प्रस्ताव दिया है। यदि शिंदे डिप्टी सीएम पद स्वीकार नहीं करते, तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है और महाराष्ट्र में शिवसेना के किसी अन्य नेता को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई जा सकती है।

हालांकि, बीजेपी चाहती है कि एकनाथ शिंदे को ही डिप्टी सीएम बनाया जाए ताकि राज्य में एकता का संदेश दिया जा सके। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे डिप्टी सीएम पद से इंकार भी कर सकते हैं। जब शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर बीजेपी का साथ लिया था, तब फडणवीस ने पार्टी के निर्देश पर डिप्टी सीएम का पद संभाला था, जबकि वे खुद 5 साल मुख्यमंत्री रह चुके थे।

शिंदे ने क्या रखी डिमांड?

सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात में अपनी मांग रखी, जिसमें उन्होंने विधान परिषद के अध्यक्ष पद के साथ राज्य में 12 मंत्री पद की मांग की। इन 12 पदों में कई अहम मंत्रालयों की भी उम्मीद जताई गई है।

मंत्रिपद के वितरण की संभावना को लेकर कहा जा रहा है कि महायुति में 6 विधायक पर एक मंत्री का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। इसके अनुसार, बीजेपी को 21-22 मंत्रिपद, शिवसेना को 10-12 और एनसीपी को 8-9 मंत्री मिल सकते हैं। महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, और मुख्यमंत्री समेत 43 मंत्री बनाए जा सकते हैं।

अमित शाह से मुलाकात के बाद, एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे राज्य में सरकार गठन में कोई रुकावट नहीं डालेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा किए गए फैसले का पालन करेंगे। इसके बाद, भाजपा के लिए महाराष्ट्र में अगले मुख्यमंत्री के नाम पर निर्णय लेने का रास्ता साफ हो गया। शिंदे ने कहा, “यह ‘लाडला भाई’ दिल्ली आ गया है, और ‘लाडला भाई’ पद मेरे लिए किसी भी अन्य चीज से ऊंचा है।”

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जस्टिस मनमोहन का नाम भेजा गया सुप्रीम कोर्ट के अगले जज के लिए… https://nationnews247.com/%e0%a4%9c%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b8-%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%ad%e0%a5%87%e0%a4%9c%e0%a4%be/ https://nationnews247.com/%e0%a4%9c%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%b8-%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%ad%e0%a5%87%e0%a4%9c%e0%a4%be/#respond Fri, 29 Nov 2024 11:49:52 +0000 https://nationnews247.com/?p=35825
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भारत के सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में 32 न्यायाधीश हैं, जबकि इसमें 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद से दो पद रिक्त हैं।

कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मनमोहन की पदोन्नति की सिफारिश की: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मनमोहन, को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिए केंद्र को सिफारिश भेजी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने हाल ही में बैठक की और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मनमोहन के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया। इस पैनल में न्यायमूर्ति बीआर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और एएस ओका भी शामिल हैं।

भारत में सुप्रीम कोर्ट के लिए स्वीकृत 34 न्यायाधीशों की संख्या के मुकाबले फिलहाल 32 न्यायाधीश हैं, क्योंकि न्यायमूर्ति हिमा कोहली और डीवाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद दो पद रिक्त हैं।

कौन हैं न्यायमूर्ति मनमोहन?

61 वर्षीय न्यायमूर्ति मनमोहन, जो जम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और दिल्ली के उपराज्यपाल जगमोहन के बेटे हैं, का जन्म 17 दिसंबर 1962 को दिल्ली में हुआ था। जगमोहन की 3 मई 2021 को मृत्यु हो गई थी। न्यायमूर्ति मनमोहन ने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में बीए ऑनर्स किया। इसके बाद, 1987 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी से एलएलबी की डिग्री हासिल की और उसी वर्ष अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण किया।

वकील के रूप में, न्यायमूर्ति मनमोहन ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की। उन्होंने सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, कराधान, मध्यस्थता, और ट्रेडमार्क मामलों में काम किया। भारत सरकार के लिए वरिष्ठ पैनल अधिवक्ता के रूप में भी उन्होंने सेवा दी। 2003 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। उन्होंने दाभोल पावर कंपनी, हैदराबाद निज़ाम के आभूषण ट्रस्ट, और क्लेरिज होटल विवाद जैसे प्रमुख मामलों की पैरवी की।

न्यायमूर्ति मनमोहन को मार्च 2008 में दिल्ली हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और अगले वर्ष वह स्थायी न्यायाधीश बने। नवंबर 2023 में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, और इस साल सितंबर में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

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संभल जामा मस्जिद मामले में 29 नवंबर को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई… https://nationnews247.com/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%ad%e0%a4%b2-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87/ https://nationnews247.com/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%ad%e0%a4%b2-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a6-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87/#respond Fri, 29 Nov 2024 11:34:29 +0000 https://nationnews247.com/?p=35822
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सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन से कहा है कि फिलहाल इस स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है और मामला लंबित रखा जाएगा, लेकिन कोर्ट की प्राथमिकता है कि क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर, 2024) को संभल जामा मस्जिद के सर्वे से जुड़े हिंसा के मामले में ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि हाईकोर्ट में मामला लंबित रहने तक कोई कार्रवाई न की जाए। जामा मस्जिद कमेटी ने सिविल जज के सर्वे आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही निचली अदालत आगे की कार्यवाही कर सकती है।

शांति बनाए रखने पर जोर

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि संभल क्षेत्र में शांति और सामंजस्य सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में सुरक्षित रखने और इसे खोलने से मना किया गया।

हिंसा की घटना का संदर्भ

19 नवंबर को संभल के सिविल जज जूनियर डिविजन ने मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया था। 24 नवंबर को जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, तो स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जिससे हिंसा भड़क उठी और छह लोगों की जान चली गई।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान जामा मस्जिद कमेटी के वकील, सीनियर एडवोकेट हुफेजा अहमदी ने निचली अदालत के आदेश की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की। इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि कोर्ट ने आदेश देखा है, लेकिन इस पर टिप्पणी नहीं करेगा। मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी अधिकारों और विकल्पों का उपयोग करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह जिला कोर्ट हो या हाईकोर्ट।

मस्जिद कमेटी की चिंता पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने एडवोकेट हुफेजा अहमदी ने चिंता व्यक्त की और कहा, “देशभर में ऐसे करीब 10 मामले लंबित हैं, जहां पहले ही दिन सर्वे का आदेश दिया गया और तुरंत सर्वेक्षक नियुक्त कर दिए गए। कृपया इस प्रक्रिया को रोकें।” इस पर सीजेआई खन्ना ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना इस मामले में कोई नई कार्रवाई नहीं होगी और ट्रायल कोर्ट 8 जनवरी तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को भरोसा दिलाया कि वे सिविल जज के आदेश को चुनौती देने के अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं, जो उन्हें सीपीसी और संविधान के तहत प्राप्त हैं।

योगी सरकार को क्या निर्देश दिए गए?

सीजेआई खन्ना ने जिला प्रशासन का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को हिदायत दी कि “इस मामले में हम फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और इसे लंबित रखेंगे। लेकिन यह सुनिश्चित करें कि इलाके में शांति और सौहार्द बना रहे।” कोर्ट ने निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों को शामिल कर एक शांति समिति गठित की जाए। मुस्लिम कमेटी को बताया गया कि यह आदेश सीपीसी के ऑर्डर 41 के तहत है, इसलिए इसे चुनौती देना उनका अधिकार है, लेकिन प्रथम अपील की गुंजाइश नहीं है।

मस्जिद सर्वे और विवाद की पृष्ठभूमि

संभल की शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी। यह विवाद तब शुरू हुआ जब अदालत के आदेश पर मस्जिद का सर्वेक्षण कराया गया। याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था। सर्वेक्षण के आदेश के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए सर्वे आदेश को रद्द करने की मांग की है।

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24 घंटे में बदला इस्कॉन का बयान चिन्मय दास पर… https://nationnews247.com/24-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a5%89%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%af/ https://nationnews247.com/24-%e0%a4%98%e0%a4%82%e0%a4%9f%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%a6%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a5%89%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%af/#respond Fri, 29 Nov 2024 09:33:53 +0000 https://nationnews247.com/?p=35819
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बांग्लादेश में संत चिन्मय दास की गिरफ्तारी के मामले में इस्कॉन ने अब उनके समर्थन में बयान जारी किया है। संगठन ने हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की है।

संत चिन्मय दास: संत चिन्मय दास की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ा दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गंभीरता से ध्यान खींचा है।

सूत्रों के मुताबिक, विवाद के आरंभ में इस्कॉन बांग्लादेश ने संत चिन्मय दास से दूरी बनाते हुए उन्हें संगठन का आधिकारिक सदस्य मानने से इनकार किया था। हालांकि, बाद में इस्कॉन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वे चिन्मय दास के साथ खड़े हैं। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव, चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी, ने बताया कि अनुशासन भंग के कारण उन्हें पदों से हटाया गया था, लेकिन संगठन उनके शांतिपूर्ण आह्वानों का समर्थन करना जारी रखेगा।

इस्कॉन की छवि धूमिल करने की हो रही है कोशिश 

चारु चंद्र दास ने यह भी कहा कि इस्कॉन हिंदू समुदाय की एकता बनाए रखने और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सक्रिय होने के कारण कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन इस्कॉन की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। साथ ही, उन्होंने ढाका हाई कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया गया।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील

इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग को तेज कर दिया है। इस्कॉन ने बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए वैश्विक समुदाय से सहयोग की अपील की है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि वह शांतिपूर्ण संघर्ष और धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थन में मजबूती से खड़ा रहेगा।

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यासीन मलिक की सुरक्षा को लेकर CBI का बड़ा कदम… https://nationnews247.com/%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%b2/ https://nationnews247.com/%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a8-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%b2/#respond Thu, 28 Nov 2024 12:50:21 +0000 https://nationnews247.com/?p=35816
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सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक के मामले को जम्मू की अदालत से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित करने की याचिका पर 18 दिसंबर, 2024 को सुनवाई निर्धारित की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू में पेश करने का विरोध किया है।

यासीन मलिक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक के खिलाफ चल रहे मामले को जम्मू कोर्ट से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थित विशेष कोर्ट में स्थानांतरित करने पर 18 दिसंबर को सुनवाई तय की है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू में पेश करने का विरोध कर रही है। यह पेशी रुबिया अपहरण और वायु सेना अधिकारी की हत्या से जुड़े मामलों में होनी है।

CBI ने जम्मू कोर्ट में मलिक को पेश न करने के लिए संशोधित याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को पक्ष बनाने का आदेश दिया था और यह भी कहा था कि वह यह तय करेगा कि क्या जेल में ही कोर्ट लगा कर सुनवाई की जा सकती है। CBI ने एक अलग आवेदन दाखिल कर बताया कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में कोर्ट की सुविधा उपलब्ध है, इसलिए मामले को यहां ट्रांसफर किया जाए।

2022 से लंबित है यासीन मलिक मामला

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में 2022 से लंबित है, जब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें यासीन मलिक को दो अलग-अलग मामलों में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सितंबर 2022 में जम्मू कोर्ट ने रुबिया सईद अपहरण मामले और वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या के मामले में मलिक के प्रोडक्शन वारंट जारी किए थे।

सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं लाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। 21 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच में हुई सुनवाई में सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेशी दी।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यासीन मलिक एक साधारण आतंकवादी नहीं है, उसके पाकिस्तान में बड़े संपर्क हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कानून की किताबों में लिखी सभी बातें हूबहू लागू नहीं की जा सकतीं। सीबीआई ने यह भी पेशकश की थी कि यासीन मलिक का कानूनी प्रतिनिधित्व कोर्ट में उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है और खुद जम्मू जाना चाहता है।

मेहता ने यह भी बताया कि गवाहों की सुरक्षा को लेकर चिंता है, क्योंकि पहले एक गवाह की हत्या हो चुकी है। इस पर जजों ने सुझाव दिया कि वे जेल में ही विशेष कोर्ट बनाने पर विचार करेंगे, लेकिन इसके लिए दूसरे आरोपियों को भी सुनना होगा।

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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई… https://nationnews247.com/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a5%89%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%9f-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%95-%e0%a4%aa/ https://nationnews247.com/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a5%89%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%9f-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%a8%e0%a4%b2-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%95-%e0%a4%aa/#respond Thu, 28 Nov 2024 12:38:36 +0000 https://nationnews247.com/?p=35813
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उत्तराखंड सरकार ने बताया कि कुल 53 किलोमीटर लंबी सड़क में से 45 किलोमीटर हिस्सा बफर जोन के अंतर्गत आता है, जबकि बाकी का हिस्सा मुख्य क्षेत्र में स्थित है।

सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर, 2024 को उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के मुख्य क्षेत्र में निजी बसों के संचालन से जुड़े मामले पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि केवल जानवरों की सुरक्षा के बारे में नहीं सोचा जा सकता, बल्कि इंसानों की जरूरतों का भी ख्याल रखना होगा। यह सुनवाई टाइगर रिजर्व में निजी बसों के संचालन की अनुमति देने को लेकर हो रही थी, जिस पर केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने विरोध जताया है।

जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सीईसी को वहां रहने वाले लोगों की स्थिति को भी ध्यान में रखना चाहिए। सीईसी ने पाखरो-मोरेघट्टी-कालागढ़-रामनगर वन मार्ग पर निजी बसों के संचालन की अनुमति नहीं देने की सिफारिश की है। कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि 24 सीटों वाली बस को अनुमति दी जा सकती है, तो आम लोगों के लिए बसों को क्यों नहीं चलने दिया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आप (सीईसी) को संतुलित दृष्टिकोण रखना होगा, आपको सिर्फ जानवरों के बारे में नहीं सोच सकते। इंसानों के बारे में भी थोड़ा सोचना होगा।” कोर्ट ने 18 फरवरी, 2021 को राष्ट्रीय उद्यान द्वारा 23 दिसंबर, 2020 को जारी किए गए उस पत्र पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत बसों को मुख्य क्षेत्र में चलाने की अनुमति दी गई थी।

उत्तराखंड राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि 53 किलोमीटर लंबी सड़क में से 45 किलोमीटर बफर जोन से गुजरती है, जबकि शेष 8 किलोमीटर मुख्य क्षेत्र में आता है। बफर जोन वह क्षेत्र होता है जो मुख्य क्षेत्र के आसपास स्थित होता है और जहां पर्यावरणीय संरक्षण, अनुसंधान, विकास, और विनियमित पर्यटन जैसी कम प्रभाव वाली गतिविधियां होती हैं।

बुधवार की सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट के. परमेश्वर, जो न्याय मित्र के रूप में पेश हो रहे थे, ने कहा कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। उत्तराखंड के वकील ने बताया कि 1986 से वहां 18 सीटों वाली बस चल रही है, जो स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए है। परमेश्वर ने यह भी कहा कि सड़क पर कोई आपत्ति नहीं है, केवल वाणिज्यिक बसों के संचालन का विरोध किया जा रहा है।

बेंच ने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव देते हुए पूछा, “आप 24 सीटों वाली कैंटर बस चला सकते हैं, लेकिन मुख्य क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए 18 सीटों वाली बस क्यों नहीं?” कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि यदि आपत्ति निजी संचालकों की बसों से संबंधित है, तो राज्य को उस मार्ग पर राज्य बसें चलाने का आदेश दिया जा सकता है। बेंच ने राज्य और केंद्र के वकीलों को सीईसी रिपोर्ट की प्रतियां उपलब्ध कराने और तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसके बाद अगली सुनवाई होगी।

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बांग्लादेश के हालात पर PM चिंतित… https://nationnews247.com/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-pm-%e0%a4%9a%e0%a4%bf/ https://nationnews247.com/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-pm-%e0%a4%9a%e0%a4%bf/#respond Thu, 28 Nov 2024 12:34:24 +0000 https://nationnews247.com/?p=35810
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बांग्लादेश में स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं। इस संदर्भ में, बांग्लादेश के वर्तमान हालात पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।

जयशंकर की पीएम मोदी से मुलाकात: बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को 50 से अधिक जिलों में 200 से ज्यादा हमलों का सामना करना पड़ा है।

इस सप्ताह स्थिति और बिगड़ी जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में, उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया, जिसके बाद ढाका और चटगांव सहित कई स्थानों पर हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। भारत सरकार भी बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर चिंता जाहिर कर चुकी है।

इस मामले पर गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री को बांग्लादेश की ताजा स्थिति की जानकारी दी। इसके अलावा, अगर संसद सुचारू रूप से चलती है, तो मोदी सरकार इस मामले पर संसद में बयान देने को तैयार है।

कांग्रेस ने उठाए थे सवाल 

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर कांग्रेस ने चिंता व्यक्त की है और मोदी सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है। भारत सरकार पहले ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सामने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर अपना ऐतराज जता चुकी है।

क्या है पूरा मामला:

हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को हाल ही में गिरफ्तार किया गया। उन्हें सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया, जब वह चटगांव में होने वाली एक रैली में शामिल होने जा रहे थे। मंगलवार को अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।

चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक नेता द्वारा चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई थी। उन पर 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान शहर के लालदीघी मैदान में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।

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