उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग की आबादी का अनुमान करीब 60 से 65 फीसद है। वहीं, एससी और एसटी वर्ग के लोगों की आबादी लगभग 21 फीसद है। इस संख्या के आधार पर बीजेपी की ध्यान खास रूप से पिछड़े वर्ग पर है।
लोकसभा चुनाव 2024: आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियां राजनीतिक दलों ने गतिविधियों में तेज कर दी हैं। चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष दो अलग-अलग मोर्चों पर खड़े हैं। बीजेपी का उद्देश्य है उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर बड़ी संख्या में जीत हासिल करना। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए का विपक्ष ने उच्च स्तर के अधिकारियों को चुनकर भीजेपी सरकार की कामयाबियों का संदेश पहुंचाने का फैसला किया है। बीजेपी ने नई रणनीति के तहत 20 हजार वॉलेंटियर्स तैयार करने का निर्णय लिया है। ये वॉलेंटियर्स ओबीसी समाज के लोगों तक पहुंचकर बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करेंगे।
अखिलेश यादव के पीडीए का ढूंढा काट
उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्ग की आबादी करीब 60 से 65 फीसद है, जबकि एससी और एसटी वर्ग की आबादी लगभग 21 फीसद है। बीजेपी की नजर पिछड़ों की ओर है, और उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की आबादी अकेले 40 से 45 फीसद तक मानी जाती है। चुनावी लड़ाई के लिए बीजेपी विशेष रूप से पिछड़ा वर्ग को समर्थित करने की तैयारी कर रही है। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के 80 लोकसभा सीटों का लक्ष्य भेदने में पिछड़ा वर्ग अहम भूमिका निभा सकता है।
जानिए बीजेपी की क्या है नई रणनीति
उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। अखिलेश यादव का दावा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का किला ध्वस्त करने की ताकत पीडीए रखती है। पीडीए यानी दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा का नारा देकर अखिलेश यादव ने नया दांव खेला है। अखिलेश यादव ने पटना में विपक्षी दलों की पहली महाबैठक के दौरान पीडीए का नारा दिया था। बीजेपी पिछले दो लोकसभा चुनावों में मिली जबरदस्त जीत से उत्साहित है और जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को एनडीए के खेमे में जोड़ रही है। विपक्षी दलों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ने के लिए ‘इंडिया’ नाम से नया गठबंधन बनाया है, जिसमें 26 पार्टियों के साथ सपा भी शामिल है।