महाराष्ट्र के राज्य रिजर्व पुलिस बल ने एक मुस्लिम कांस्टेबल को ड्यूटी पर दाढ़ी रखने के कारण निलंबित कर दिया, जिसे 1951 के बॉम्बे पुलिस मैनुअल का उल्लंघन माना गया।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम पुलिस कांस्टेबल की याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है, जिसमें उन्होंने ड्यूटी पर दाढ़ी रखने के कारण निलंबित किए जाने का मुद्दा उठाया है। कांस्टेबल ने दावा किया है कि यह कार्रवाई संविधान के तहत धर्म के पालन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
संविधान का अनुच्छेद 25 अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के पालन का अधिकार प्रदान करता है। मुख्य न्यायाधीश डी. यश चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मुद्दे पर विचार करने पर सहमति जताई है।
याचिका महाराष्ट्र राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) के मुस्लिम कांस्टेबल द्वारा दाखिल की गई थी, जो दाढ़ी रखने के कारण निलंबित कर दिए गए थे, जिसे 1951 के बॉम्बे पुलिस मैनुअल का उल्लंघन माना गया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह एक संविधानिक मुद्दा है और इसे नॉन मिसलेनियस डे पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार और शुक्रवार को मिसलेनियस डे होते हैं, जिनमें केवल नई याचिकाओं की सुनवाई होती है, जबकि मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को नॉन मिसलेनियस डे होते हैं, जिनमें नियमित सुनवाई वाले मामलों की सुनवाई होती है।
2015 में, याचिकाकर्ता जहीरूद्दीन एस. बेडाडे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बेंच ने पहले उन्हें दाढ़ी कटवाने के बदले निलंबन रद्द करने की पेशकश की थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया था।