राजस्थान में आरपीएससी को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं और युवाओं के मन में निराशा का भाव न होने के लिए आईपीएस पंकज चौधरी ने अपना अनुभव साझा किया है। उन्होंने युवाओं को सफलता की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
राजस्थान समाचार: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की कई परीक्षाएं चर्चा में हैं और इससे जुड़ी राजनीति भी तेज हो गई है। पिछले दिनों कई आंदोलन भी हुए हैं। इस विवादमयी माहौल में राजस्थान के जाने-माने आईपीएस पंकज चौधरी ने अपने 15 साल पुराने अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें चयन होने से पहले कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वे हार नहीं माने और आखिरकार अपने मामले को कोर्ट में जीता।
यही कहानी छात्रों और युवाओं को नैतिक साहस प्रदान करने और उन्हें यह समझाने के लिए साझा की गई है कि उन्हें हार नहीं माननी चाहिए और सही दिशा में कठिनाईयों का सामना करना चाहिए। आईपीएस पंकज चौधरी ने बताया कि उनका यह अनुभव वर्ष 2008 का है, जब वे भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में थे और देश में सभी लोक सेवा आयोगों की परीक्षाएं देते थे।
प्रवेश पत्र नहीं आया
आईपीएस पंकज चौधरी ने बताया कि उनका उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने के बाद मुख्य परीक्षा के लिए फॉर्म भरते समय उन्हें कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वे दिल्ली के मुखर्जी नगर पोस्ट ऑफिस से मेंस का फॉर्म भेज दिए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि उनका प्रवेश पत्र नहीं भेजा गया था जबकि उनके कई साथियों को प्रवेश पत्र भेज दिए गए थे। उन्होंने तत्काल आयोग से संपर्क किया और वहां से सूचना मिली कि उनका मुख्य परीक्षा का फॉर्म आयोग तक पहुंचा नहीं था इसलिए उन्हें प्रवेश पत्र नहीं भेजा गया था। इसके कारण उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं थी।
आयोग ने ही की थी गड़बड़ी
आईपीएस पंकज चौधरी ने बताया कि उन्हें इस समस्या का धक्का लगा जब उन्हें पता चला कि उनका मुख्य परीक्षा का फॉर्म आयोग तक नहीं पहुंचा था और उन्हें प्रवेश पत्र नहीं भेजा गया था। वे पोस्ट ऑफिस गए और जाना कि रजिस्ट्री तीन से चार दिनों में पहुंच जाती है। इससे उन्हें आयोग द्वारा की गई गड़बड़ी की खुलासा हो गया। वे पहले दो बार इंटरव्यू तक पहुंच चुके थे, लेकिन इस बार मुख्य परीक्षा देने से रोक दिया गया था। इस समय आयोग के सचिव से मिलने के बाद तीखी बहस भी हुई।
कोर्ट में उतरना पड़ा
पंकज चौधरी ने अपनी कहानी शेयर की है और बताया है कि उन्हें चुनौती भरी स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने ना हार मानी और ना ही अपने अधिकारों को छोड़ा। उन्होंने अपने परीक्षा का फॉर्म समय पर जमा किया था लेकिन आयोग ने उनका फॉर्म गलती से नहीं प्राप्त किया था। उन्होंने अपनी तत्कालिकता दिखाकर अपना मामला कोर्ट में रखा और उसे जीत भी मिली। इसके बाद वे परीक्षा देने की तैयारियों में लग गए और सफलता प्राप्त करने में कामयाब हुए। उन्होंने IPS परीक्षा में भी अच्छा रैंक हासिल किया और आज वे राजस्थान कैडर में सेवा कर रहे हैं। उनकी यह कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है और उन्हें ये सिखाती है कि समस्याओं का सामना करने में ना हारें और अपने लक्ष्य की दिशा में समृद्धि के साथ काम करें।