माजुली, असम में ‘पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन-2023’ का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए धार्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में मोहन भागवत भी शामिल हुए।
आरएसएस प्रमुख: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख, मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से यह बताया है कि व्यक्ति जो धर्म कहलाता है, वास्तव में सभी मानवों के लिए एक ही है। उन्होंने धर्म को मानवता का धर्म घोषित किया है और इस पर आधारित होकर समाज को विविधताओं का सामर्थ्यपूर्ण रूप से संभालने और समस्याओं को हल करने के लिए एकजुट होने की आवश्यकता बताई है। इस बारे में उनका भाषण ‘पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन-2023’ में असम के माजुली में हुआ, जिसमें वे सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए पहुंचे थे। मोहन भागवत ने यह साझा किया कि हमारा देश अलग-अलग समुदायों से भरा हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हम सभी का धर्म मानवता है और इसलिए समाज को एक साथ मिलकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी को एक परंपरा में एकजुट होने के लिए प्रेरित किया और देश की एकजुटता के प्रति अपनी पहले से ही अभिवादन जताए हैं।
अलग रास्ते पर चलने के बाद भी सब एक जगह पहुंचेंगे: आरएसएस प्रमुख
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हम सब अलग-अलग परंपराओं के उपासक होने के बाद भी एक सनातन प्रवाह में चलते हैं. हमारे भारतवर्ष में जितने विचार निकले, उन सब के दर्शन अलग-अलग होने के बावजूद भी उनकी सामान बात यह है कि वह सब लोग यह विश्वास करते हैं कि अपने अपने रास्ते से चलने पर हम सब लोग एक ही जगह पहुंचने वाले हैं.’ उन्होंने एकता को बढ़ावा देते हुए विविधिताओं का उत्सव मनाने की बात भी कही है.
राष्ट्रीय जागरूकता की गुजारिश करते हुए मोहन भागवत ने परिवारों से भारत के शाश्वत आध्यात्मिक मूल्यों और समय-परीक्षणित रीति-रिवाजों को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने धर्माचार्यों, मठों और मंदिरों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि वे इन मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।