वाराणसी जिला कोर्ट ने 21 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण सुनवाई का निर्णय लिया है जिसमें ज्ञानवापी मामले पर निर्णय होगा। हिंदू पक्ष ने एर्चियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की है, उनका आरोप है कि रिपोर्ट को नियम विरुद्ध तरीके से पेश किया गया है।
ज्ञानवापी मामला: वाराणसी ज्ञानवापी मामले के संबंध में हुई 18 दिसंबर की सुनवाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) के वकील अमित कुमार ने वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में 92 दिनों तक चले सर्वे की रिपोर्ट पेश की है। लेकिन इस रिपोर्ट की प्रस्तुति के तत्काल बाद, हिंदू पक्ष ने इसे नकारात्मकता दिखाते हुए इसका विरोध किया है। उनका दावा है कि यह पूरी तरह से सील पैक बंद कपड़े में प्रस्तुत किया गया है, जो न्यायिक मूल्यों के खिलाफ है। इस मुद्दे को लेकर आज एक और महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। साथ ही, मुस्लिम पक्ष ने भी इस रिपोर्ट के सार्वजनिक या मीडिया के सामने न रखने की आपत्ति जताई है।
‘देश की भावनाओं से जुड़ा हुआ यह फैसला, सार्वजनिक क्यों न हो’
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि 18 दिसंबर को वाराणसी के जिला न्यायालय में एएसआई रिपोर्ट अधिवक्ता अमित कुमार द्वारा पेश किया गया। उन्होंने कहा कि वह कड़ी सुरक्षा के बीच अपने चैंबर से कोर्ट रूम पहुंचे। इसके अलावा, ASI को तीन बार अतिरिक्त समय दिया गया था। उनके अनुसार, वजू खाने को छोड़कर अतिरिक्त ज्ञानवापी परिसर में ASI द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट को सील पैक पेश करना न्यायिक मूल्यों के खिलाफ है और अनुचित है। उन्होंने इस मामले को लेकर जिला न्यायाधीश के सामने आपत्ति जताई है और इस पर 21 दिसंबर को वाराणसी जिला न्यायालय में सुनवाई होगी।
मुस्लिम पक्ष ने की ये मांग
उसी समय, मुस्लिम पक्ष ने भी बड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस एएसआई की रिपोर्ट को सार्वजनिक और मीडिया के समक्ष नहीं रखा जाए। हालांकि, हम पूछते हैं कि जिस प्रकार देश के सर्वोच्चतम न्यायालय में बड़े मामलों की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट होता है, ठीक उसी प्रकार करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़े इस मामले के मूल विषयों को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाए।
ज्ञानवापी परिसर में हुए एएसआई के सर्वे में मिले साक्ष्य और प्रमाण यह स्पष्ट बताते हैं कि परिसर का वास्तविक इतिहास क्या रहा है और इसमें शामिल सभी विषयों को सार्वजनिक बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए हम मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को स्वीकार नहीं करते हैं और आज होने वाली सुनवाई में हम यह बात वाराणसी जिला न्यायालय में स्थापित करने जा रहे हैं।