ईरानी सरकार सक्रिय रूप से महिलाओं पर पर्दा डालने की अनिवार्यता को लागू करने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रही है, जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की पीड़ा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
ईरान हिजाब कानून: ईरानी सरकार सख्त हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं का इलाज मनोचिकित्सकों से करा रही है। इसके अतिरिक्त, कानून की अवहेलना करने वालों को मुर्दाघर में लाशों को साफ करने की सजा दी जा रही है। फ़्रांस 24 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार हिजाब कानून के अनुपालन को लागू करने के उद्देश्य से हिजाब न पहनने वाली महिलाओं के प्रति और भी सख्त हो रही है।
हाल ही में ईरानी अभिनेत्री अफसानेह बेयेगन को हिजाब न पहनने के कारण दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी। नतीजतन, उसे हर हफ्ते मनोचिकित्सक से परामर्श लेने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट में एक हालिया घटना का भी जिक्र किया गया है जहां एक महिला को बिना हिजाब के गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर एक महीने तक मुर्दाघर में लाशें साफ करने की सजा दी गई थी। सख्त हिजाब कानून के उल्लंघन के जवाब में अधिकारी ये कदम उठा रहे हैं।
महिलाओं पर लगाम लगाना चाहती है सरकार?
ईरान के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अजादेह कियान ने बेयेगन की सजा को एक उदाहरण के रूप में उठाया है और इसे देश की सरकार के द्वारा महिलाओं में कानून के खिलाफ खौफ पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया है कि सरकार नए और अनोखे तरीकों की खोज में लगी है ताकि महिलाओं को अपने बाल ढकने के लिए मजबूर किया जा सके।
न्यायाधीशों की हुई आलोचना
ईरान में महिलाओं से जुड़े मामलों के जजों के फैसले पर कई सामाजिक संगठनों ने आश्चर्य व्यक्त किया है। चार मानसिक स्वास्थ्य संगठनों के अध्यक्ष घोलम-होसैन मोहसेनी ईजेई ने देश की न्यायपालिका के प्रमुख को एक पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि ‘मानसिक स्वास्थ्य विकारों का निदान मनोचिकित्सकों की जिम्मेदारी है, न्यायाधीशों की नहीं।’
नए-नए तरीके ढूंढ रही सरकार
अधिकारियों के दावे के अनुसार, सख्त हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं पर भारी जुर्माना लगा रहे हैं। ऐसे में यदि महिलाएं बिना हिजाब के गाड़ी चला रहीं हैं तो उनके वाहन जब्त किए जा रहे हैं। इससे महिलाओं को नौकरी से निकालने का दबाव बना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, हिजाब न पहनने वाली महिलाएं अस्पताल में भी इलाज नहीं पा रहीं हैं।