वार्षिक रूप से डायरिया से लाखों बच्चों की मृत्यु हो रही है, लेकिन अब आईसीएमआर टेस्ट किट के द्वारा डायरिया से होने वाले तीन वायरस की पहचान संभव होगी। यह किट जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी।
आईसीएमआर डायरिया टेस्ट किट: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय हैजा आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) ने मिलकर एक बड़ी सफलता हाथ प्राप्त की है, जो डायरिया के बच्चों में इलाज के लिए प्रभावी साबित हो सकती है। इसके माध्यम से देश में पहली बार रोटा, एडिनो और नोरो वायरस की जांच की जा सकेगी। ये तीन वायरस बच्चों में डायरिया के मुख्य कारण हैं और इस सफलता को मेडिकल इतिहास में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कोरोना की तरह रियल टाइम टेस्ट
अमर उजाला की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह मेडिकल तकनीक अब तक कोरोना वायरस के टेस्ट में उपयोग हो रही है। इसके साथ ही, रोटा, एडिनो और नोरो वायरस की भी रियल-टाइम जांच की जा सकेगी। इसके लिए, केवल एक सैंपल की आवश्यकता होगी। यह तकनीक आरटीपीसीआर (RT-PCR) पर आधारित है।
95 फीसदी तक सटीक नतीजे
एनआईसीईडी के डायरेक्टर ने बताया है कि यह तकनीक वायरस की पहचान करने में 95 फीसदी तक सटीक है। उन्होंने इसके साथ ही बताया कि भारत में इन वायरस की जांच के लिए अब तक कोई उपलब्ध किट नहीं थी। आरटीपीसीआर टेस्ट के माध्यम से सिर्फ 4-5 घंटों में वायरस की पहचान की जा सकती है, जिससे हजारों बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
लोगों को जल्द मिलेगी किट
डायरिया की पहचान के लिए तैयार की गई आरटीपीसीआर किट जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होगी। इसके लिए आईसीएमआर ने निजी कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित किया है। इस किट को उचित मूल्य पर लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे व्यक्ति आसानी से बच्चों की आंतों में मौजूद वायरस की पहचान कर सकेगा।
यह बात बताने में भी महत्वपूर्ण है कि हर साल डायरिया से दुनियाभर में लाखों बच्चों की मौत होती है। भारत में भी हर साल इस बीमारी से पांच लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है। यह बीमारी ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।