आज हम आपको एशिया में स्थित सबसे सुंदर गांव के बारे में बता रहे हैं। यह जानकर आपको चकिती आएगा कि कैसे इस गांव ने अपनी स्वच्छता को बनाए रखने के कठिन प्रयासों के बावजूद एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बन गया है।
एशिया का सबसे स्वच्छ गांव: देश में विकास के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है। यह समस्या दुनिया भर के देशों को ग्रस्त कर रही है। हालांकि, मेघालय राज्य में एक गांव है जो अपनी सुंदरता के कारण विश्वभर के लोगों को आकर्षित कर रहा है। यह गांव मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दूर, भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित है और इसका नाम मॉलिन्नॉन्ग है। इसे लोग मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं। वास्तव में, मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे साफ और सुंदर गांव मान्यता प्राप्त है। 2003 में, डिस्कवर इंडिया मैगज़ीन ने मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया था। इसके बावजूद, आपको आश्चर्य होगा कि यहां पहले से सब कुछ इतना अच्छा नहीं था।
15 साल पहले, अर्थात् सन् 1988 में, मॉलिन्नॉन्ग गांव में एक महामारी फैल गई थी। हर सीज़न में यहां बीमारी फैलती थी और इससे खासकर बच्चे प्रभावित होते थे। इस महामारी के कारण हालात बहुत खराब हो गए थे और कई स्कूली बच्चे इस बीमारी से मर गए थे। इसके पश्चात्, एक स्कूल शिक्षक ने इन सभी संकटों के बीच मेहनत करके महामारी के खिलाफ लड़ाई शुरू की। उन्होंने गांव के लोगों को साफ़-सफाई और शिक्षा के महत्व के लिए प्रेरित किया। इसके लिए, उन्होंने एक समिति की स्थापना की और इस समिति ने कठोर नियम बनाए जैसे- पशुओं को बांधकर रखना, सड़कों पर गंदगी न करना और घर में ही शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया। इसके अलावा, कचरे को एक बांस के बॉक्स में संग्रह करके रिसाइक्ल करने की प्रथा शुरू की गई।
अतिरिक्त उपायों के बावजूद, प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस गांव में थूकना और सिगरेट पीना भी मना है। यहां खास बात यह है कि मॉलिन्नॉन्ग गांव के लोगों ने इन नियमों को गंभीरता से पालन किया है। इसका परिणामस्वरूप, मॉलिन्नॉन्ग आज एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है। ये नियमों का पालन कराने के लिए जुर्माने का प्रावधान भी है। गांव के हर नागरिक को अपने घर की सफाई के साथ-साथ सड़क की सफाई की जिम्मेदारी भी होती है। यहां, यदि कोई व्यक्ति सफाई में शामिल नहीं होता है, तो उसे खाना नहीं मिलता। यहां नदी का पानी इतना साफ है कि आप इस पर हैरान हो जाएंगे। नदी में कई फीट नीचे पड़े हुए पत्थर भी पूरी तरह साफ दिखाई देते हैं। इसे दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी में गिना जाता है। इस नदी का नाम डौकी है और इसमें गंदगी का कोई भी प्रतीक नहीं होता। नदी में मौजूद नाव को देखकर ऐसा लगता है कि पानी के बजाय हवा में तैर रही हों।