मौलाना रजवी ने एक मुस्लिम एजेंडा जारी करते हुए मुसलमानों को शिक्षा, व्यवसाय, और परिवार पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने इस दौरान केंद्र सरकार को चेतावनी भी दी.
अखिल भारतीय मुस्लिम जमात बैठक: बरेली में आला हजरत के 106वें उर्स के पहले दिन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के हेड ऑफिस में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से आए उलमा और बुद्धिजीवियों ने मुसलमानों के मुद्दों पर चर्चा की और एक मुस्लिम एजेंडा तैयार किया।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम एजेंडा जारी करते हुए मुसलमानों को शिक्षा, व्यवसाय, और परिवार पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने समाज में फैल रही बुराइयों को रोकने और लड़कियों के लिए अलग से स्कूल और कॉलेज खोलने की आवश्यकता की बात की।
मौलाना ने केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि मुसलमान देश की एकता और अखंडता के लिए हर संभव कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने वाली राजनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मुसलमानों के साथ नाइंसाफी और जुल्म को अधिक दिन सहन नहीं किया जा सकता। सरकारों और राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से काम करना होगा और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा।”
वक्फ संशोधन बिल का किया समर्थन
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति का उचित रख-रखाव और उससे होने वाली आमदनी गरीब और कमजोर मुसलमानों पर खर्च की जानी चाहिए। समान नागरिक संहिता के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के मुसलमान इस तरह के कानून को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान हिंदुओं के मकानों और मंदिरों पर हुए हमलों की निंदा की और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान की सरकारों से अपील की कि वे अपनी जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने से रोकें और आतंकवाद का जड़ से खात्मा करें।
मौलाना ने सरकार और राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अक्सर कोई न कोई व्यक्ति पैगंबर इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करता है, लेकिन सभी लोग खामोश रहते हैं और कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने सुझाव दिया कि संसद या विधानसभाओं में एक विशेष बिल लाया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति पैगंबर इस्लाम की शान में गुस्ताखी न कर सके।
मुसलमानों की शिक्षा को लेकर दिया बयान
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय को सलाह दी कि 2023-2024 के दौरान मुसलमानों की शिक्षा दर में कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी भी संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए और संपन्न मुसलमानों को गरीब बच्चों की स्कूल फीस का खर्च उठाना चाहिए। इसके अलावा, मदरसों और मस्जिदों में अरबी, उर्दू के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मुसलमानों को अपनी ज़मीन और संपत्ति में लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी हिस्सा देना चाहिए और जकात के सामूहिक प्रणाली को लागू करना चाहिए। इसके साथ ही, मुसलमानों को कानून के दायरे में रहकर अपने आधार कार्ड और वोटर कार्ड बनवाने चाहिए और चुनावों में अपने वोटों का उपयोग देश की प्रगति के लिए करना चाहिए।
मौलाना रजवी ने केंद्र और राज्य सरकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मुसलमान सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार हैं जो देश की एकता और अखंडता के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए बनाई गई योजनाओं का फायदा मुसलमानों को नहीं मिल पा रहा है, और इस व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए। उन्होंने लव जिहाद, मॉब लिंचिंग, धर्मांतरण, आतंकवाद और टेरर फंडिंग के नाम पर मुसलमानों को उत्पीड़ित किए जाने की निंदा की और इसे रोकने की अपील की।
‘समान नागरिक संहिता मुसलमानों को मंजूर नहीं’
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि कुछ कट्टरपंथी संगठन मुसलमानों की लड़कियों को डराकर और झूठे वादे करके विवाह की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने इन संगठनों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की। मौलाना ने संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान स्थापित करने की अनुमति दिए जाने का हवाला देते हुए कहा कि इसमें सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने 1991 के एक्ट के अनुसार धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया और मौजूदा कोर्ट केसों की वजह से देश का माहौल खराब होने की चिंता जताई।
उन्होंने पैगंबर इस्लाम के सम्मान में की जा रही गुस्ताखियों को बर्दाश्त न करने की बात की और केंद्रीय सरकार से आग्रह किया कि पैगंबर इस्लाम से संबंधित एक विशेष बिल संसद में पेश किया जाए। समान नागरिक संहिता को लेकर उन्होंने कहा कि मुसलमान इसे मंजूर नहीं करते।
मौलाना रजवी ने राजनीतिक पार्टियों को यह चेतावनी दी कि वे मुसलमानों का इस्तेमाल चुनावी जरूरतों और वोटों के लिए करती हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल जाती हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमान किसी एक राजनीतिक पार्टी के गुलाम नहीं हैं और जो पार्टी मुसलमानों के मुद्दों और अधिकारों पर ध्यान देगी, मुसलमान उसके साथ खड़े होंगे। राजनीतिक पार्टियों को मुसलमानों की बात सुननी चाहिए और उनके हितों की रक्षा करनी चाहिए।