ऑस्ट्रेलिया की सर्वोच्च अदालत ने नस्लीय भेदभाव अधिनियम के तहत फैसला सुनाते हुए कृपाण पर बैन लगाने वाले कानून को असंवैधानिक ठहराया है।
ऑस्ट्रेलिया सुप्रीम कोर्ट: ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रांत में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल कैंपस में सिखों के कृपाण ले जाने पर लगाए गए बैन को असंवैधानिक ठहराया है, जिससे अब सिख छात्रों को स्कूल में कृपाण ले जाने की इजाजत मिल गई है। यह फैसला कमलजीत कौर अठवाल द्वारा पिछले साल स्थानीय सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करने पर आया था। उन्होंने दावा किया था कि इस बैन से सिखों के पांच धार्मिक प्रतीकों में से एक कृपाण के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो सिखों को हर समय अपने साथ रखना चाहिए।
कोर्ट ने प्रतिबंध को असंवैधानिक बताया
गुरुवार (3 अगस्त) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य की सर्वोच्च अदालत ने अठवाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्कूल कैंपस में सिखों के कृपाण ले जाने पर लगाए गए बैन को नस्लीय भेदभाव अधिनियम के तहत असंवैधानिक ठहराया है। पिछले साल किये गए प्रारंभिक अदालत के फैसले में यह सुझाव खारिज कर दिया गया था कि कृपाण ले जाने पर लगाया गया बैन भेदभावपूर्ण है। लेकिन इस हफ्ते, कोर्ट के तीन जजों ने धारा 10 के साथ असंगत बताया है कि क्वींसलैंड हथियार अधिनियम 1990 की एक धारा जो सार्वजनिक स्थानों और स्कूलों में चाकू ले जाने पर बैन लगाती है, वो राष्ट्रमंडल नस्लीय भेदभाव अधिनियम 1975 के साथ असंगत है। क्वींसलैंड शिक्षा विभाग ने कहा है कि वे इस फैसले पर विचार कर रहे हैं और कोर्ट के फैसले के परिणाम से अभी तक निहितार्थ परिभाषित नहीं हो सकते हैं।
मुवक्किल अदालत के फैसले से खुश
अठवाल के वकील ने यह कहा है कि आज एक ऐसा दिन है जब सिख धर्म के सदस्य अपने विश्वास का पालन करने में स्वतंत्र हैं। वे स्थानीय स्कूलों के समुदायों के गौरवशाली सदस्यों के रूप में भेदभाव के बिना सकारात्मक रूप से शामिल हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा है कि उनका मुवक्किल अदालत के फैसले से खुश हैं।