बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए रेल हादसे में, कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेनों ने अपनी पटरियों से उतरकर और एक मालगाड़ी से टकराकर हादसे का संभावित कारण बनाया।
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: बालासोर जिले में शुक्रवार (2 जून) की शाम हुए भयानक रेल हादसे में अब तक 261 लोगों की मौत हो गई है, और इसके साथ ही 900 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है. इस हादसे के बारे में चर्चा हो रही है कि कैसे तीन ट्रेन एक साथ हादसे का शिकार हो गईं। सवाल उठ रहा है कि क्या ‘कवच प्रणाली’ इस स्थिति में उपयोगी थी और क्या इससे हादसा रोका जा सकता था।
वंदे भारत एक्सप्रेस के मालिक सुधांशु मणि ने इंडिया टुडे के साथ बात करते हुए बताया कि ‘कवच प्रणाली’ एक्सीडेंट को रोकने में सक्षम नहीं थी। उन्होंने कहा, “प्राथमिक देखने पर लगता है कि सिग्नल फेल का मामला नहीं है। इसके बजाय, पहली ट्रेन की पटरी से उतरने का मामला है। सरकार को जांच करनी चाहिए कि पहली रेल पटरी से कैसे उतरी।”
भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि इस मार्ग पर ‘कवच प्रणाली’ उपलब्ध नहीं थी। रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच प्रणाली’ को शामिल करने की प्रक्रिया में है, जिससे रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।
‘कवच प्रणाली’ क्या है?
‘कवच’ एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे रेलवे मंत्रालय ने 2022 में रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर विकसित किया है। यह सिस्टम लोको पायलट के सिग्नल जंप पर सतर्कता बनाए रखने के लिए उपयोगी होता है और रेल के ब्रेक को नियंत्रित करता है। सिस्टम को पहली ट्रेन को रोकने की जानकारी मिलते ही, यदि दूसरी ट्रेन उस रेलवे ट्रैक पर आ रही हो, तो वह आवश्यक कार्रवाई करता है।
हादसा कैसे हुआ?
शुक्रवार को हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और उनके बदले दूसरी पटरी पर गिर गए। इसके बाद उतरे हुए डिब्बों ने शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराया और इससे उन डिब्बों का भी पलटन हो गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरने के बाद, एक मालगाड़ी से उन्हें टक्कर लगी।