बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बारे में अब तक करीब 70 घंटे बित चुके हैं, लेकिन हालांकि इसकी वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है। पिछले साल, कैग (संयुक्त मानव संसाधन विकास निगम) की रिपोर्ट में इस ट्रेन हादसे के बारे में कई दावे किए गए थे।
रेल दुर्घटनाओं पर कैग की रिपोर्ट: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ओडिशा ट्रेन हादसे के कारणों का पता चल गया है और इसमें इंटरलॉकिंग में बदलाव का भी योगदान है। जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है और जांच रिपोर्ट जल्द ही जारी की जाएगी। पिछले वर्ष, संयुक्त मानव संसाधन विकास निगम (CAG) द्वारा जारी ऑडिट रिपोर्ट में भी इस हादसे में ट्रैन के पटरी से उतरने की बात कही गई थी और रेलवे फंड से होने वाले ट्रैक रेनोवेशन में पैसे की कमी भी उभरी गई है। इस रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा कोष या राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK fund) के अनुचित उपयोग के संबंध में भी बताया गया है, जिसने 2017-2018 के बाद से 1 लाख करोड़ रुपये का फंड प्राप्त किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह फंड 2017-2021 के बीच हुए 1127 मामलों में से 289 मामलों में ट्रेन के पटरी से उतरने का मुख्य कारण रहा है।
कितना घटा ट्रैक रेनोवेशन का फंड?
अनुसार, रिपोर्ट द्वारा उज्ज्वलित किया गया है कि आरआरएसके (RRSK) से प्राथमिकता वाले कार्यों पर खर्च में कमी के साथ-साथ, ट्रैक रेनोवेशन के कार्यों में भी कमी आई है और पहले से आवंटित धन का उचित इस्तेमाल नहीं हुआ है। 2017-18 में ओवरऑल एक्सपेंडिचर 81 प्रतिशत यानी 13,652 करोड़ रुपये से घटकर 2019-20 में 73 प्रतिशत यानी 11,655 करोड़ रुपये हो गया था। ट्रैक रेनोवेशन के लिए फंड 2018-19 में 9607 करोड़ रुपये था, जो 2019-20 में 7417 करोड़ रुपये हो गया।
ट्रैक रेनोवेशन पर रिपोर्ट ने क्या कहा?
भारतीय रेलवे (IR) की कुल ट्रैक लंबाई के 1,14,907 किलोमीटर में से हर साल 4,500 किलोमीटर के रेनोवेशन का कार्य किया जाना चाहिए था। हालांकि, वित्तीय समस्याओं के कारण पिछले छह सालों में ट्रैक रेनोवेशन की प्रगति में निरंतर गिरावट हुई है, जैसा कि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। रेलवे पर स्टैंडिंग कमिटी (2016-17) ने अनुमान लगाया था कि ट्रैक रेनोवेशन के लक्ष्यों को पूरा करने में असफल रहा गया था।