भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों को जगह देना है जो कनाडा की धरती से गतिविधियां संचालित करते हैं।
भारत-कनाडा संबंध: भारत-कनाडा संबंधों में असहजता सोमवार को उस समय देखने को मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूदो के एक बधाई संदेश का जवाब दिया कि भारत परस्पर समझ और ‘एक-दूसरे की चिंताओं’ के सम्मान के आधार पर ओटावा के साथ काम करने के लिए उत्सुक है।
पिछले साल सितंबर में ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता है। इसके बाद से भारत और कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया था।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बधाई संदेश के लिए धन्यवाद प्रधानमंत्री ट्रूडो। भारत परस्पर समझ और एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करने पर आधारित रिश्तों के मद्देनजर कनाडा के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है।’
इससे पहले, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद छह जून को कहा था कि मानवाधिकारों, विविधता और कानून के शासन पर आधारित देशों के लोगों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कनाडा भारत सरकार के साथ खड़ा है।
कनाडाई पीएम ने बधाई संदेश में क्या कहा था?
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी चुनावी जीत पर बधाई। कनाडा दोनों देशों के लोगों के बीच मानवाधिकारों, विविधता और कानून के शासन पर आधारित संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनकी सरकार के साथ काम करने को तैयार है।”
भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा कनाडा द्वारा कनाडा की धरती से अपनी गतिविधियां चलाने वाले खालिस्तानी समर्थक तत्वों को जगह देना है। खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा भारतीय राजनयिकों को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने के मामले भी सामने आए हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में बढ़ी असहजता
पिछले साल ट्रूडो के आरोपों के कुछ दिनों बाद भारत ने ओटावा से समानता सुनिश्चित करने के लिए देश में अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा था। कनाडा ने बाद में भारत से 41 राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों को वापस बुला लिया था।
भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए निज्जर की पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या की जांच रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) कर रही है।