कपिल सिब्बल ने बताया कि चुनाव के दौरान सत्ताधारी दलों के नेताओं ने आचार संहिता का व्यापक उल्लंघन किया। वे दंड संहिता के खिलाफ बयान देने के बावजूद, उन लोगों को कोई नोटिस नहीं दिया गया जिन्होंने ऐसा किया।
कपिल सिब्बल का CEC पर हमला: वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार पर हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ खेमे के प्रति ‘पक्षपातपूर्ण’ होने का आरोप लगाया और विपक्ष से इस पर ‘एक्शन’ लेने का आग्रह किया। सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कहा, “भारत के चुनाव आयोग, खासकर मुख्य चुनाव आयुक्त के बारे में कम बोलना बेहतर है। उनका म रहा है। मुझे लगता है कि विपक्ष को इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या वह सीईसी की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग विपक्ष को जवाब तक नहीं देता है। वे आगे कहते हैं, “हर कोई चुनाव आयुक्त की इस चुप्पी का कारण जानता है। अगर दंड संहिता के खिलाफ बयान देने वाले व्यक्तियों को भी नोटिस नहीं दिया जाता है, और जिस तरह से डाले गए वोटों और गिने गए वोटों में अंतर है…ये सभी गंभीर मुद्दे हैं।”
निष्पक्ष चुनाव नहीं होगा तो लोकतंत्र खतरे में
उन्होंने कहा, “यदि निर्दिष्ट ढांचे के माध्यम से निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं कराए जाते हैं, तो हमारा लोकतंत्र खतरे में है विपक्षी दलों को इस बात पर चर्चा करनी चाहिए कि क्या ‘पक्षपाती’ संवैधानिक संस्थाओं के तहत ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ संभव हैं.” हालांकि, सिब्बल ने ईवीएम विवाद पर कुछ भी बोलने से इनकार किया।
वायकर से जुड़े सवाल पर टिप्पणी से किया इनकार
कपिल सिब्बल से जब शिवसेना के रवींद्र वायकर से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “जब सुप्रीम कोर्ट ने हमें अपनी मशीनों पर भरोसा करने के लिए कहा, और हमें चुनाव आयोग पर भरोसा करने के लिए कहा, जब सुप्रीम कोर्ट खुद उन (ईसीआई) पर भरोसा कर रहा है तो मुझे उन पर टिप्पणी क्यों करनी चाहिए?