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कर्नाटक के ग्रैंड इवेंट में इन बड़े खिलाड़ियों से क्यों बनाई दूरी कांग्रेस ने…

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कर्नाटक में सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस द्वारा कई दलों को न्योता भेजा गया है, हालांकि चर्चा ज्यादातर उन दलों के साथ हो रही है जिन्हें न्योता नहीं भेजा गया है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह: कर्नाटक में आज मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन होने वाला है। कांग्रेस ने अपनी शानदार विजय के बाद इस समारोह को आयोजित करने के लिए पूरी तैयारी की है। वे इस कार्यक्रम को विपक्षी एकता के ट्रेलर के रूप में प्रदर्शित करना चाहते हैं, इसलिए इसे करीब 20 विपक्षी पार्टियों को न्योता भेजा गया है। दिलचस्प बात यह है कि सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस द्वारा जारी न्योते की सूची में कई महत्वपूर्ण नाम गायब हैं। इस न्योता सूची से कांग्रेस का यह भी पता चलता है कि वे 2024 के लिए किसे खतरा मानते हैं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 135 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। लंबे समय तक चले सस्पेंस के बाद, कांग्रेस हाईकमान ने सीएम पद के लिए सिद्धारमैया का चयन किया था। कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम का पद सौंपा गया है। आज, सिद्धारमैया शपथ लेने के लिए तैयार हैं।

विपक्ष के बड़े खिलाड़ियों से दूरी

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए 19 विपक्षी दलों को न्योता भेजा है, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेडीयू के नेता तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, एनसीपी के नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे शामिल हैं।

जहां तक न्योता न भेजने वाले गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बात है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कांग्रेस ने ये निर्णय अपनी राजनीतिक रणनीति के आधार पर लिया होगा। इन नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह से बाहर रखने का कारण हो सकता है कि वे उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं देने के अपने निर्णय को दिखाना चाहते हैं, या फिर उनमें से कुछ नेता कर्नाटक समारोह में शामिल होने के लिए अनुत्साहित हो सकते हैं। इससे यह भी संभावित है कि कुछ नेताओं के पास अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो सकते हैं जिनके कारण वे शपथ ग्रहण सम

केसीआर से दूरी

बीआरएस सुप्रीमो केसीआर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री, विपक्षी दलों को एक साथ लाकर तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जनवरी में बीआरएस की भव्य रैली में कई नेताओं को बुलाया गया था, लेकिन कांग्रेस को इसमें शामिल नहीं किया गया था।

केजरीवाल से नाराजगी

भारतीय राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) की तरह, आम आदमी पार्टी (आप) भी अपने आपको बीजेपी और कांग्रेस दोनों के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करती है। दिल्ली में आप और कांग्रेस एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। पंजाब में भी आपने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। इसके अलावा, आपने कर्नाटक में लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने भी प्रचार किया है। एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि आपने जालंधर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को पराजित किया है। दिल्ली और पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने आपसे गठबंधन के खिलाफ खड़े होने का विरोध किया है।

जब हम नवीन पटनायक, वाईएसआर और नवीन पटनायक को न बुलाने को देखते हैं, तो राज्यों में कांग्रेस को इन दलों के साथ या तो सीधी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है या फिर कांग्रेस इन पार्टियों को बीजेपी के मौन सहयोगी के रूप में देखती है। आंध्र प्रदेश में सीएम वाईएसआर ने कई मौकों पर एनडीए सरकार का समर्थन किया है। वहीं, केरल में विजयन सहित कांग्रेस के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा होती है।

ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के लिए तस्वीर स्पष्ट है। पटनायक ने हाल ही में बयान दिया है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अकेले ही लड़ेगी।

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