चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि वह इस आदेश को पूरी तरह से पढ़ेंगे और फिर यह जांच करेंगे कि किस परिस्थिति में और क्यों यह फैसला दिया गया। इसके बाद ही वे आगे का निर्णय लेंगे।
एससी-एसटी आरक्षण मुद्दा: नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद SC-ST एक्ट के तहत आरक्षण में कोटा देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि वे इस आदेश को पूरी तरह से पढ़े बिना कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन वे इसे अध्ययन करेंगे क्योंकि इसमें बाबा साहेब आंबेडकर के कई उद्धरण शामिल हैं।
चंद्रशेखर आजाद ने यह भी कहा कि यह स्थिति अंग्रेजों की डिवाइड एंड रूल पॉलिसी की तरह है, और एससी-एसटी वर्ग की एकता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी देखने की बात कही कि सुप्रीम कोर्ट में जिन जजों ने यह आदेश दिया है, उनमें से कितने एससी-एसटी वर्ग के हैं।
सुप्रीम कोर्ट से ही हो वर्गीकरण की शुरुआत
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि अगर वर्गीकरण का कोई कदम उठाना ही है, तो इसकी शुरुआत सर्वोच्च न्यायालय से होनी चाहिए, जहां लंबे समय से कुछ परिवारों का कब्जा है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि शेड्यूल कास्ट में किसी को प्रवेश नहीं मिल रहा है, तो सामान्य जातियों के लोगों को अवसर क्यों नहीं मिल रहे हैं। उनका कहना है कि वर्गीकरण की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होनी चाहिए।
चंद्रशेखर ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों की निगरानी की कमी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में प्रमोशन के पुराने फैसलों की निगरानी की है, और क्या एससी-एसटी का बैकलॉग भरा गया है। उनका तर्क था कि निर्णय बंद कमरे में लिया जा रहा है और इसकी पारदर्शिता की कमी है।
आगे के फैसले के बारे में उन्होंने कहा कि बेंच में जज बेला त्रिवेदी के फैसले पर अन्य जजों की असहमति का अध्ययन करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे यह भी देखेंगे कि इस फैसले का समर्थन और विरोध करने वाले वकील किस जाति के थे। सभी पहलुओं की जांच के बाद ही वे आगे का निर्णय लेंगे।