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सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार द्वारा मामले में की गई लापरवाही का भी जिक्र किया। कोर्ट ने बताया कि एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी हुई और इसके चलते मामले की संवेदनशीलता प्रभावित हुई।
कोलकाता बलात्कार-हत्या मामला: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (22 अगस्त) को कोलकाता रेप और मर्डर केस की सुनवाई हुई। अदालत ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और आश्वासन दिया कि उनकी सुरक्षा अस्पतालों में सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, अदालत ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा मामले में की गई लापरवाही पर आलोचना की। सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को काम पर लौटने दिया जाए, और एक बार जब वे काम पर वापस आ जाएंगे, तो अदालत अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव बनाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे, तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति गंभीर हो जाएगी।
- चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों की 36 घंटे तक चलने वाली ड्यूटी पर चिंता जताई और बताया कि उन्होंने खुद सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोकर कठिनाइयों का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में समस्याएं इतनी अधिक हैं कि उन पर कई ईमेल मिल चुके हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुबह 10:10 बजे अननेचुरल डेथ की डायरी एंट्री की गई, जो परेशान करने वाली है। शव उठाते समय पुलिस को पता था कि यह अननेचुरल डेथ है, लेकिन एफआईआर रात 11:45 बजे दर्ज की गई। अदालत ने बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल को फटकार लगाते हुए उनसे जिम्मेदारी से जवाब देने को कहा।
- सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बंगाल सरकार के वकील से कहा कि पुलिस ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वह क्रिमिनल प्रोसीजर कोड से मेल नहीं खाती। जज ने कहा कि उन्होंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा कुछ नहीं देखा और पुलिस अधिकारी की प्रक्रिया को बिल्कुल सही नहीं माना। डायरी एंट्री से यह भी स्पष्ट होता है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया।
- सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि घटनास्थल पर कई महत्वपूर्ण सुराग थे, लेकिन उन्हें सुरक्षित करने में देर की गई, जिससे महत्वपूर्ण सबूतों के मिट जाने का खतरा उत्पन्न हुआ है।
- कोलकाता केस पर सुनवाई के दौरान, कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच विवाद भी हुआ। मेहता ने कहा कि घटना की सूचना सुबह 10:10 बजे दी गई, लेकिन अननेचुरल डेथ केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया, जो न केवल गलत है बल्कि अमानवीय भी है। इस पर सिब्बल ने विरोध किया।
- सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि एक वकील ने शव से भारी मात्रा में सीमेन मिलने का दावा किया था। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट मौजूद है, और सोशल मीडिया पर आधारित दावे नहीं किए जाने चाहिए।
- बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई हिंसा का मुद्दा उठाया, जिसमें कहा गया कि वहां लोगों ने प्रोटेस्ट के नाम पर एकत्रित होकर बाद में हिंसा शुरू कर दी।
- सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार का हलफनामा भी सोशल मीडिया पर आधारित है। इस पर सिब्बल नाराज हो गए और कहा कि हलफनामा ठीक से पढ़ा जाए।