सोमवार को सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार, अगर किसी चीज़ को छिपा नहीं रही है, तो वह इन सवालों का सत्यापन करने के लिए सटीक और विश्वसनीय उत्तर देनी चाहिए।
पटना: बिहार के भागलपुर में गंगा नदी में पुल गिरने के बाद राजनीतिक बहस बढ़ गई है। रविवार (4 जून) को पुल के पाया नंबर 10, 11 और 12 गिर गए थे। महागठबंधन सरकार बीजेपी पर और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता नीतीश-तेजस्वी की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। दोनों पक्षों में आपसी विवाद जारी है।
इस मामले में सोमवार (5 जून) को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी किया है और पांच सवाल पूछे हैं।
उन्होंने कहा है कि जो लोग प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से बालासोर रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेने की मांग कर रहे थे, वे क्या बिहार में निर्माणाधीन अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु का एक हिस्सा फिर से ढह जाने की जिम्मेदारी लेंगे? क्या महासेतु मामले में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कोई कार्रवाई करेंगे?
पाया ढह जाने पर चुप क्यों हैं?
सुशील मोदी ने जिन लोगों को गैसल रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेने के लिए नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे थे, उनके चुप होने पर वह प्रश्न कर रहे हैं कि वे इसी तरह महासेतु के पायों के ढहने पर क्यों चुप हैं? उन्होंने राज्य सरकार से पांच सवाल पूछे हैं। नीचे दिए गए हैं पांच सवालों की सूची.
- जब आइआइटी रुड़की को महासेतु के टूटे हिस्से की जांच सौंपी गई, उस समय अंतरिम रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना निर्माण की गति क्यों तेज की गई?
- विधानसभा में डॉ. संजीव ने पुल के पाये की कमजोरी पर सवाल उठाया था, इस पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने किस आधार पर क्लीनचिट दे दी थी?
- अगर पुल का एक हिस्सा खुद नहीं टूटा था, बल्कि उसे तोड़ने का कारण डिजाइन गलती थी, तो वहां से मजदूर कैसे लापता हो गए?
- एक साल पहले जब महासेतु का एक हिस्सा टूटा था, तो निर्माण एजेंसी के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?
- महासेतु का शिलान्यास प्रस्तावित आठ साल पश्चात भी क्यों नहीं हुआ और निर्माण क्यों नहीं पूरा हुआ?
सुशील कुमार मोदी ने अपना बयान दिया कि यदि सरकार कुछ छिपा नहीं रही है, तो उसे इन सवालों का सत्यापन करके और विश्वसनीय उत्तर देकर प्रदर्शित करना चाहिए।