सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए वसुंधरा राजे, संजय जोशी और शिवराज सिंह चौहान के नाम चर्चा में हैं। इनमें से आरएसएस वसुंधरा राजे के नाम को सबसे उपयुक्त मान रही है।
भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष: भारतीय जनता पार्टी (BJP) अक्सर अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए जानी जाती है। चाहे किसी राज्य में मुख्यमंत्री का चयन हो या पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, पार्टी आलाकमान ने कई बार विपक्ष को मात देते हुए मास्टरस्ट्रोक खेले हैं। अब एक बार फिर BJP बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी आलाकमान पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है, और इसकी घोषणा जल्द ही की जा सकती है।
कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि वसुंधरा राजे के अलावा संघ ने संजय जोशी का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था। इसके साथ ही, चर्चा है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने शिवराज सिंह चौहान का नाम आगे रखकर स्थिति को त्रिकोणीय बना दिया है। हालांकि, संघ वसुंधरा राजे के नाम को सबसे उपयुक्त मान रहा है। अंतिम निर्णय अभी लिया जाना है, लेकिन वसुंधरा राजे को सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की बधाइयां मिलने लगी हैं।
वसुंधरा राजे क्यों हैं रेस में सबसे आगे
बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए वसुंधरा राजे का नाम केवल समर्थन के आधार पर नहीं है; उन्हें आरएसएस की करीबी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार, वसुंधरा राजे का नाम आरएसएस ने ही आगे रखा है। इसके अतिरिक्त, आरएसएस ने संजय जोशी का नाम भी प्रस्तावित किया है, लेकिन पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस नाम पर सहमति नहीं दिखाई है। पीएम मोदी और संजय जोशी के बीच संबंधों में खटास रही है, जिसका उदाहरण वर्ष 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान देखा जा सकता है, जब नरेंद्र मोदी सिर्फ इसलिए प्रचार करने नहीं गए थे क्योंकि वहां के संयोजक संजय जोशी थे। इस संदर्भ में, वसुंधरा राजे ही मुख्य उम्मीदवार के रूप में उभर रही हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वसुंधरा राजे की सबसे बड़ी चुनौती उनके पीएम मोदी और अमित शाह के साथ संबंधों में दरार है, जो उनके चुनाव को प्रभावित कर सकती है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद, वसुंधरा का नाम सीएम पद के लिए सबसे आगे था, लेकिन पार्टी ने भजनलाल शर्मा को चुना। जब पार्टी की जीत का श्रेय पीएम मोदी को दिया जाने लगा, तब वसुंधरा राजे ने कहा कि जीत में केवल एक व्यक्ति का योगदान नहीं है। इसके अलावा, 2018 में भी वसुंधरा और अमित शाह के बीच टकराव की खबरें आई थीं, जब अमित शाह गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान में भाजपा का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन वसुंधरा ने इसका विरोध किया था, जिससे अमित शाह को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा।
इस बयान से भी मिल रहा संकेत
हाल ही में जयपुर स्थित भाजपा मुख्यालय में मदन राठौड़ ने राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला, और इस अवसर पर वसुंधरा राजे भी वहां मौजूद थीं। वसुंधरा ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं, और हर व्यक्ति इस दौर से गुजरता है। उन्होंने कहा कि सभी को तीन चीजें ध्यान में रखनी चाहिए पद, मद, और कद। इन पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि पद और मद स्थायी नहीं होते, जबकि कद हमेशा बना रहता है। जो लोग अच्छा कार्य करते हैं, उन्हें लोग याद रखते हैं और उनका कद हमेशा ऊंचा रहता है। उन्होंने चेताया कि अगर किसी को पद का मद होता है, तो इससे उसका कद भी घट सकता है। यह बात उन्होंने नए बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ के संदर्भ में कही, लेकिन इसका अर्थ व्यापक राजनीतिक परिदृश्य में भी है।