केंद्र मंत्रालयों में लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती को लेकर अब तक विपक्षी दल ही केंद्र सरकार पर हमला कर रहे थे, लेकिन अब इस विरोध में चिराग पासवान और जेडीयू भी शामिल हो गए हैं।
लेटरल एंट्री के खिलाफ एनडीए गठबंधन सहयोगी: यूपीएससी की ओर से केंद्र में रिक्त संयुक्त सचिव, निदेशक, और उपसचिव के 45 पदों पर सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) के फैसले के बाद विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है। जहां पहले विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार पर हमले कर रहे थे, वहीं अब एनडीए में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने लेटरल एंट्री से भर्ती के फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह निर्णय बहुत गलत है और नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाएंगे।
जेडीयू में भी उठे विरोध के सुर
इस मुद्दे पर एनडीए की सहयोगी जेडीयू में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही सरकार से आरक्षित सीटों को भरने की बात कहती आ रही है। उन्होंने सवाल किया कि जब समाज के कई वर्गों को सदियों से पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा है, तो मेरिट के नाम पर भर्तियों में आरक्षण के प्रावधानों को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है? त्यागी ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसे फैसलों के जरिए विपक्ष को मुद्दा दे रही है।
कांग्रेस की ओर से लगातार विरोध जारी है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार (18 अगस्त 2024) को नरेंद्र मोदी सरकार को इस मुद्दे पर घेरा और आरोप लगाया कि बीजेपी आरएसएस के लोगों को भर्ती करना चाहती है। इसके तुरंत बाद, मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सोमवार (19 अगस्त 2024) को सरकार पर हमला बोला और लेटरल एंट्री के फैसले को नकारात्मक बताया।
वहीं, लेटरल एंट्री को लेकर चल रहे विरोध के बीच एनडीए की सहयोगी टीडीपी ने मोदी सरकार का समर्थन किया है। टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने कहा कि वे लेटरल एंट्री के समर्थन में हैं क्योंकि कई मंत्रालयों को विशेषज्ञों की जरूरत है और वे प्राइवेट सेक्टर से जानकारों को शामिल करने का समर्थन करते हैं।