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चीन का जुल्म तिब्बत में बच्चों पर…

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चीन वर्तमान में तिब्बत के बच्चों को उनके परिवारों से अलग करके सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में भेज रहा है। इसका परिणामस्वरूप, उन्हें उनकी संस्कृति से दूर रखने की प्रक्रिया आगाह की जा रही है।

चीन-तिब्बत समाचार: चीन ने तिब्बत में वहां के बच्चों को उनके परिवारों से अलग करके सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में भेजकर एक चौंकाने वाली कदम उठाया है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, उन्हें उनकी तिब्बती संस्कृति से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। चीन इसके माध्यम से आने वाली पीढ़ी को चीनी संस्कृति से जोड़ने का उद्देश्य रखता है, जिससे उसे तिब्बती संस्कृति से दूर कर सके। इस कदम के खिलाफ अमेरिका ने चीन के खिलाफ सजा देने की तैयारी भी की है।

तिब्बत को चीन ने अपने अधिग्रहण के बाद से ही इस दिशा में कदम उठाया है और वहां की नीतियों को अपनाने का प्रयास किया है। चीन तिब्बत के मामले में हमेशा से संवाददाता रहा है। तिब्बत के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाते रहे हैं, जो चीन को पसंद नहीं है। चीन का उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी के बीच से उनकी संस्कृति को हटा दिया जाए ताकि उसे पूरी तरह से चीनी संस्कृति में समाहित कर सके। इससे उनके खिलाफ आवाज उठाने वाला कोई नहीं बचेगा।

अमेरिका ने क्या कहा? 

संप्रति गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दिया है कि तिब्बती बच्चों को चीन के बोर्डिंग स्कूलों में भेजने वाले अधिकारियों के खिलाफ वीजा प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव उन्होंने किया है। उनके अनुसार, ऐसी नीतियों के माध्यम से तिब्बती युवा पीढ़ी के बीच से उनकी भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने यह भी उजागर किया कि चीन से उन्होंने यह कहने का प्रयास किया है कि वह तिब्बत के बच्चों को अनवश्यक रूप से सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में भेजने की प्रक्रिया को रोके। उन्होंने इसके साथ ही चीन के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी अत्याचारक नीतियों पर भी आवरोध लगाने का आग्रह किया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने यह भी बताया कि नए प्रतिबंध तिब्बत में शिक्षा नीति को अमल में लाने में शामिल अधिकारियों पर लागू होंगे, जिनमें वर्तमान और पूर्व अधिकारी भी शामिल हैं।

चीन तिब्बत में क्या कर रहा है?

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के अनुसार, तिब्बत में लगभग 10 लाख बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर उन्हें सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में भेजने का कार्यक्रम चल रहा है। चीन ने इसके लिए एक विशेष प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रक्रिया के तहत, तिब्बती बच्चों को जबरदस्ती सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जा रहा है और उन्हें उनकी मातृभाषा की बजाय मंदारिन भाषा में पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही, उनकी संस्कृति से दूर होने का काम भी किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य चीन की संस्कृति के साथ जुड़ने के आग्रह से आवश्यक संयुक्त राष्ट्र एक्सपर्ट्स का कहना है।

इस वर्ष, एक और संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हजारों तिब्बती लोगों की पहचान का अंत हो रहा है और उनकी पारंपरिक ग्रामीण संस्कृति का समापन किया जा रहा है। उन्हें मजबूरी में व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं। हालांकि, चीन ने इस आरोप को खारिज किया है और कहा है कि वह तिब्बत में सामाजिक स्थिरता, आर्थिक विकास और जातिगत एकता को बढ़ावा दे रहा है। उनका तर्क है कि यहां के लोग शांति में रह रहे हैं।

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