आरबीआई ने दो हजार रुपये के नोट को सर्कुलेशन से हटाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के बाद से ही विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू की है।
2000 रुपये के करेंसी नोट एक्सचेंज: शुक्रवार (19 मई) को आरबीआई ने एक भयानक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से हटा दिया जाएगा। यह निर्णय 30 सितंबर तक इसे मान्य रखने के साथ आया है। आरबीआई के इस फैसले के बाद से राजनीति गरमाने लगी है और कई सियासी प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं, जिसमें मोदी सरकार को लक्ष्य बनाया जा रहा है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि अगर नोटबंदी करनी ही थी तो फिर पहले ही क्यों जारी की गई थी। वे मोदी सरकार पर हमले कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी के मंत्री और नेता इसे सही समय पर सही निर्णय बता रहे हैं। उनके मुताबिक इस नोटबंदी से बीजेपी को फायदा हुआ है और यह काले धन के खिलाफ एक बड़ा कदम है।
लाया ही क्यों गया था नोट
अशोक गहलोत, राजस्थान के मुख्यमंत्री, ने दो हजार के नोट को बंद करने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह नोट पहले से ही चलन में नहीं था तो इसका जवाब सरकार को देना चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए कि वह पहले ही गलती कर चुकी है और अब फिर से गलती कर दी है, क्योंकि नोटबंदी पहले ही किए जा चुके थे और अब दो हजार के नोट भी बंद कर दिए गए हैं।
अर्थव्यवस्था होती है कमजोर
कांग्रेस पार्टी के नेता राजीव शुक्ला ने अर्थव्यवस्था की मजबूती की बजाय इस फैसले से उसकी कमजोरी को बढ़ावा देने का दावा किया है। गौरव बल्लभ, एक और कांग्रेस नेता, ने बीजेपी को आरोप लगाया है कि वह बिना सोचे समझे दो हजार रुपये की नोट को बाजार में लायी थी और अब उसे पलटना पड़ रहा है।
एनसीपी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के कारण 2000 रुपये के नोट पर पाबंदी लगाई गई है। एसपी के नेता आमीक जामेई ने एक तंज के साथ सवाल पूछा है कि क्या 2000 की नोट के बंद हो जाने से आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर रोक लग गई है।
राष्ट्रहित में होते हैं इस तरह के निर्णय
बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने नोटबंदी के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि यह एक काले धन पर दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया है कि किसी भी व्यक्ति को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, और इस तरह के निर्णय राष्ट्रहित में होते हैं।